ये सवाल परेशां करता है

कोई 'ख़ाब' अधूरा सा  क्यूँ रह गया, ये सवाल परेशां करता है आज भी मुझे,, जबकि तुम चाहते तो ये पूरा हो सकता था, लेकिन कुछ ख़ाब  शायद इसलिये अधूरे रह जाते हैँ क्योंकि इन्हें वक़्त की कसौटी पर अभी तपना होता है और विरह की  आग से निकल कर फ़िर आँखों मेँ बसना होता है,, सुना है, कोई भी ख़ाब अधूरा नहीँ रहता, कोई  इस जन्म मेँ, तो कोई उस जन्म मेँ  पूरे होते हैँ ये ख़ाब!"

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