हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी मानी जाती है जिसे देव शयनी एकादशी भी कहते हैं. ग्रंथों में लिखा है, योगिनी एकादशी से भगवान् विष्णु 4 माह के लिए विश्राम के लिए क्षीर सागर में चले जाते हैं. इस दौरान कोई भी शादी विवाह जैसे शुभ कार्य नहीं किये जाते. आपको बता दें ये एकादशी 9 जुलाई को आने वाल है जिसका व्रत करने से आपको कई तरह के लाभ होते हैं. आइये जानते हैं इस व्रत को करने के क्या लाभ हो सकते हैं. माना जाता है इस व्रत को करने से आपको हर तरह के चर्म रोग से मुक्ति मिलती है. इस व्रत को करने के लिए आपको अपने मन को स्थिर रखना होगा और शांत मन हो कर भगवान विष्णु की आराधना करनी होगी. यही उपाय हैं इस व्रत को करने के. व्रत के साथ-साथ आपको दान पुण्य करना चाहिए और गरीबों को खाना खिला कर पुण्य कमा सकते हैं. रात में जागकर भगवान विष्णु के भजन या उनकी आराधना करें व्रत का फल जल्दी ही प्राप्त होगा. इसके पीछे की एक कथा है जिसे आप पढ़ सकते हैं. पद्मपुराण के अनुसार, अलकापुरी में यक्षों के राजा शिवभक्त कुबेर रहते थे. कुबेर के लिए प्रतिदिन हेम नाम का माली आधी रात को उनके लिए फूल लेने मानसरोवर जाता था. इसके बाद वो सुबह राजा कुबेर के पास के पहुँचता था. लेकिन एक बार वो रात को निकला तो अपनी पत्नी के प्रेम में पड़कर घर पर विश्राम के लिए रुक गया. इसी के बाद वो सुबह राजा के पास नहीं पहुँच पाया और भगवान शिव की पूजा कर रहे कुबेर ने उसे श्राप दिया कि तुझे स्त्री वियोग सहना होगा, मृत्युलोक में कुष्ठ रोगी होकर रहना होगा. इसी के बाद उसे चर्म रोग हो गया और भटकते हुए मार्कंडेय ऋषि के आश्रम में पहुंचा. ऋषि मार्कंडेय ने उसे आषाढ़ मास की योगिनी एकादशी का व्रत सच्चे भाव से करने को कहा. इसके बाद हेम माली ने व्रत किया और उसे श्राप से मुक्ति मिली और ठीक हो गया. आप भी इस व्रत को सच्चे भाव से करेंगे तो आप भी ऐसे रोगों से मुक्ति पा सकते हैं. योगिनी एकादशी करने का ये है खास महत्व आषाढ़ माह में आने वाले हैं खास व्रत और त्यौहार