17 जून को है योगिनी एकादशी, कुष्ट रोग वाले लोग जरूर करें व्रत

हर साल आने वाली योगिनी एकादशी इस साल 17 जून को है. जी हाँ, वहीं इस दिन व्रत करने से कुष्ठ रोग खत्म हो जाता है. जी हाँ, यह एक ऐसा व्रत है जो इस कुष्ट रोग से मुक्ति बड़े ही आसानी से दिला सकता है. आपको बता दे कि भगवान विष्णु ने आम मानव के कल्याण के लिए अपने शरीर से पुरुषोत्तम मास की एकादशियों को एक साथ मिलाकर कुल 26 एकादशियों को धरती पर प्रकट किया था. इसी के साथ ही कृष्ण पक्ष और शुक्लपक्ष में पड़ने वाली इन एकादशियों के नाम और उनके गुणों के अनुसार ही उनका नामकरण भी किया था. जी दरअसल इनमें उत्पन्ना, मोक्षा, सफला, पुत्रदा, षट्तिला, जया, विजया, आमलकी, पापमोचनी, कामदा, वरूथिनी, मोहिनी, निर्जला, देवशयनी और देवप्रबोधिनी आदि हैं.

वहीं बहुत कम लोगों को पता है कि सभी एकादशियों में नारायण समतुल्य फल देने का सामर्थ्य रखता हैं. कहा जाता है कि इनकी पूजा-आराधना करने वालों को किसी और कि पूजा की आवश्यकता नहीं पड़ती, क्योंकि यह अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करते हैं और उन्हें विष्णुलोक पहुंचाते हैं. वहीं इन एकादशियों में 'योगिनी' एकादशी बहुत ही खास मानी जाती है, क्योंकि यह एकादशी लोगों के सभी प्रकार के अपयश और चर्मरोगों से मुक्ति दिलाकर जीवन सफल बनाने में सहायक होती है.

इसी के साथ पद्मपुराण को माना जाए तो 'योगिनी' एकादशी समस्त पातकों का नाश करने वाली संसार सागर में डूबे हुए प्राणियों के लिए सनातन नौका के समान मानी जाती है. जी दरअसल व्यक्ति को इस खास दिन व्रत रखना चाहिए और भगवान विष्णु की मूर्ति के सामने बैठकर 'ॐ नमो: भगवते वासुदेवाय' मंत्र का उच्चारण करते हुए स्नान आदि कराकर वस्त्र, चंदन, जनेऊ, गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, ऋतुफल, ताम्बूल, नारियल आदि अर्पित करके कर्पूर से आरती करनी चाहिए. इससे लाभ होता है और बड़े से बड़े संकट का विनाश होता है.

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