महिलाओं के पेट में बात न पचने का कारण आप भी जान लें

प्राचीन समय से ही यह कहावत चली आ रही है की महिलाओं के पेट में कोई भी बात नहीं पचती और यह बात बिलकुल सच है कि महिलाओं के पेट में कोई भी बात नहीं पचती इसलिए अगर कोई भी ऐसी राज़ की बात है जिसे किसी को भी पता नहीं चलना चहिए तो भूलकर भी यह बात किसी महिला को न बताएं अगर आपने यह बात महिला को बता दिये तो समझ लें की अब यह बात आग की तरह हर कोने मे फैल जाएगी। लेकिन क्या आप जानते है की महिलाओं के पेट में कोई भी बात आखिर क्यों नहीं पचती अगर नहीं तो आज हम आपसे कुछ ऐसे ही विषय पर चर्चा करने वाले है, तो चलिए जानते है की महिलाओं के पेट में बात क्यों नहीं पचती?

महाभारत के युद्ध के दौरान अश्वत्थामा ने पांडव पुत्रों का धोखे से रात को सोते समय वध कर दिया था। तब अश्वत्थामा का पीछा करते हुए पांडव भगवान श्रीकृष्ण के साथ महर्षि वेदव्यास के आश्रम तक पहुंचे। मगर, उसके बाद अश्वत्थामा ने ब्रह्मास्त्र से पांडवों पर वार किया। ये देखकर अर्जुन ने भी अपना ब्रह्मास्त्र छोड़ा। तभी महर्षि व्यास ने इन दोनों बह्मास्त्रों को टकराने से रोक लिया। इन दोनों को महर्षि व्‍यास ने अपने अस्‍त्र लेने को वापस कहा, लेकिन अश्‍वत्‍थामा को ब्रह्मास्त्र को वापस लेने का ज्ञान नहीं था, जिसके लिए उसने अपने अस्त्र की दिशा बदलकर अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ की ओर कर दी।

इससे भगवान श्रीकृष्ण क्रोधित होकर अश्वत्थामा को श्राप दिया कि तुम तीन हजार वर्ष तक इस पृथ्वी पर भटकते रहोगे और तुम यहां रहकर भी किसी से बातचीत नहीं कर पाओगे और पशु के समान वन में रहोगे। कई जगहों पर अश्वस्थामा के शिव मंदिर में सबसे पहले पूजा करने के किस्से आज भी सुने जाते हैं।

महाभारत का युद्ध समाप्त होने के बाद माता कुंती ने पांडवों को यह रहस्य बताया की कर्ण उनका बड़ा भाई था। यह जानकर पांडव दुखी हो जाते हैं। युधिष्ठिर विधि-विधान से कर्ण का अंतिम संस्कार करते हैं और उसी क्षण उन्होंने समस्त स्त्री जाति को यह श्राप दे देते हैं कि कोई भी महिला कोई बात अपने पेट में छिपा कर नहीं रख सकेगी। इस श्राप का प्रभाव आज भी है।

 

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