हमारे शास्त्रों और पुराणों में दूर्वा को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है इसी कारण से इसका उपयोग पूजा सामग्री में किया जाता है. दूर्वा के विषय में ऐसी मान्यता है कि इसकी उत्पत्ति समुद्र मंथन के दौरान हुई थी इसी कारण से इसे धन की देवी लक्ष्मी की छोटी बहन भी कहा जाता है. दूर्वा में कई चमत्कारिक गुण भी है यदि इसे गाय के दूध में मिलकर इसका तिलक लगाया जाता है तो व्यक्ति के जीवन में कभी धन की कमी नहीं होती है. हिन्दू धर्म में विवाह आदि शुभ अवसर पर दूर्वा का उपयोग किया जाता है इसी से वर वधु के पैर पूजे जाते है. भारतीय संस्कृति में कई जगहों पर दूर्वा के बिना कोई भी शुभ कार्य संभव नहीं होता. शास्त्रों के अनुसार दूर्वा भगवान् गणेश को बहुत प्रिय है. वाल्मिकी जी ने रामायण की रचना की उसमे भगवान् राम का वर्ण दूर्वा के रंग का बताया है जब व्यक्ति पंचदेवो की उपासना करता है तो उसमे दूर्वा का महत्वपूर्ण स्थान होता है. दूर्वा माँ दुर्गा और भगवान् गणेश को अधिक प्रिय है. एक पौराणिक कथा के अनुसार पृथ्वी पर अनलासुर नामक असुर ने तबाही मचा दी थी जिससे त्रस्त होकर ऋषि-मुनियों ने देवताओं के राजा इन्द्रदेव से अपनी रक्षा के लिए प्रार्थना की ऋषि-मुनियों की प्रार्थना सुनकर इन्द्रदेव ने अनलासुर से युद्ध किया किन्तु उसे परास्त नहीं कर सके और हारकर भगवान् शिव की शरण में गए. तब भगवान् शिव ने कहा की इस असुर का नाश केवल गणेश ही कर सकते है फिर सभी देवताओं ने भगवान् गणेश से निवेदन किया और भगवान् गणेश ने अनलासुर को निगल लिया जिससे उनके पेट में तीव्र ताप उत्पन्न होने लगा जिसे शांत करने के लिए ऋषि कश्यप ने उन्हें 21 दूर्वा खिलाई जिससे भगवान् गणेश के पेट का ताप शांत हुआ. मानो या न मानो कर्म फल का यह नियम पूर्णतः सत्य है हर राज्य में मकर संक्रांति मनायी जाती है अलग-अलग इस तरह से मनायी गई मकर सक्रांति होती है बहुत फलदायी जानिये मकर संक्रान्ति पर आपके ग्रह नक्षत्र आपकी राशि पर क्या प्रभाव डालेंगे