'एकमुश्त वोट लिए हैं, अब आरक्षण दो..', कांग्रेस के सामने किसने रख दी ये मांग?

 

बैंगलोर: कर्नाटक में हाल ही में हुए तीन विधानसभा उपचुनावों में कांग्रेस ने शानदार जीत दर्ज की है। यह जीत पार्टी के लिए खास इसलिए है क्योंकि इसमें राज्य की सबसे बड़ी अल्पसंख्यक आबादी, मुस्लिम समुदाय, ने कांग्रेस को एकजुट होकर समर्थन दिया। अब यही समुदाय कांग्रेस से अपने पुराने 4 प्रतिशत आरक्षण को बहाल करने की मांग कर रहा है, जो बीजेपी सरकार के दौरान खत्म कर दिया गया था। इस मांग ने कांग्रेस की सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है।

बीजेपी की बसवराज बोम्मई सरकार ने मुस्लिमों को मिलने वाला 4 प्रतिशत आरक्षण खत्म कर इसे लिंगायत और वोक्कालिगा समुदायों के बीच 2-2 प्रतिशत बांट दिया था। यह कदम राज्य में बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया था, और कांग्रेस ने चुनाव के दौरान इसे अपने पक्ष में इस्तेमाल किया। चुनावों में मुस्लिम समुदाय ने कांग्रेस को भारी समर्थन दिया, जिससे पार्टी को बड़ी जीत मिली। अब मुस्लिम समुदाय  उम्मीद कर रहा है कि कांग्रेस उनकी मांग को पूरा करेगी।

मुस्लिम आरक्षण का मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। कोर्ट ने बीजेपी सरकार के आरक्षण खत्म करने वाले फैसले पर रोक लगाई थी और इसे पहली नजर में त्रुटिपूर्ण बताया था। इस स्थिति का फायदा कांग्रेस को चुनावों में मिला। कांग्रेस के विधायक और मुस्लिम समुदाय के नेता अब इस मुद्दे पर सरकार से कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं। शिवाजी नगर के कांग्रेस विधायक रिजवान अरशद का कहना है कि मुस्लिम आरक्षण समुदाय का अधिकार है और इसे बहाल किया जाना चाहिए।

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस सरकार इस आरक्षण को बहाल करने के पक्ष में है, लेकिन आधिकारिक घोषणा के लिए सही समय का इंतजार कर रही है। पार्टी को डर है कि अगर यह फैसला जल्द लिया गया, तो लिंगायत और वोक्कालिगा समुदायों का समर्थन उससे छिटक सकता है। इसी वजह से लोकसभा चुनाव और उपचुनाव के कारण इस फैसले को फिलहाल टाल दिया गया है। दूसरी ओर, मुस्लिम समुदाय के विधायक और नेता लगातार इस मुद्दे को उठा रहे हैं। उनका कहना है कि बीजेपी सरकार के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की रोक के चलते फिलहाल आरक्षण की स्थिति यथावत है, लेकिन इसे स्थायी रूप से बहाल करने के लिए जल्द कदम उठाना जरूरी है। वे मुख्यमंत्री से मिलकर इस पर दबाव बनाने की तैयारी में हैं।  

कांग्रेस के लिए यह स्थिति जटिल है, क्योंकि उसे अल्पसंख्यक समुदाय के समर्थन के साथ-साथ अन्य प्रमुख जातियों की नाराजगी से बचने का भी ध्यान रखना है। अब देखना होगा कि कांग्रेस सरकार इस संवेदनशील मुद्दे का समाधान कैसे करती है।

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