दिल्ली: नकली दवाओं का कारोबार पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में फैला हुआ है. बीमार मरीजों की सेहत के साथ खेलने वाले यह माफिया युवाओं को नशे की आग में झोक रहे हैं. मंडल ही नहीं पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नारकोटिक्स दवाओं का 'नशा' युवाओं की 'नसों' में दौड़ रहा है. ड्रग विभाग के लिए मार्च का महीना कामयाबी भरा रहा हैं. विभाग ने तीन करोड़ की नकली दवाएं बरामद कर दवा माफियाओं के गढ़ में सेंध लगा दी. हसनपुर थाना क्षेत्र के कोट पूर्वी से बरामद इन दवाओं के साथ ही विभाग ने नौ बोरे नारकोटिक्स की दवाएं भी बरामद की हैं. इनकी कीमत लगभग 50 लाख रुपये आंकी गई है. इनमें अल्प्राजोल टेबलेट लगभग 90 किलो और पैंटाजोशिन इंजेक्शन 80 किलो है. इसके अलावा अन्य नारकोटिक्स की दवाएं है. इसके पहले विभाग ने मुरादाबाद के गलशहीद थाना क्षेत्र में एक महिला को लगभग 50 हजार रुपये की नारकोटिक्स दवाओं के साथ गिरफ्तार किया था. विभाग की माने तो इन दवाओं का इस्तेमाल मानसिक दिव्यांगजनों, असहनीय दर्द, हाइपरटेंशन आदि के लिये किया जाता है. इन दवाओं को मेडिकल स्टोर भी मात्रा के अनुसार ही रख सकता है. इन दवाओं का भारी संख्या में बरामद होना इस ओर इशारा कर रहा है कि इन दवाओं को पूर्ण रूप से दुरुपयोग हो रहा था. नशे के लिए युवा वर्ग इन दवाओं का धड़ल्ले से प्रयोग कर रहा है. सुबह से लेकर शाम तक इन दवाओं का इस्तेमाल कर युवा हर समय नशे में रहते है. कारण इन दवाओं के सेवन से उन्हें भरपूर नशा तो मिलता है, साथ कोई समझ नहीं पाता है. मंदिर में मूर्तियों से तोड़-फोड़ बनी तनाव की स्थिति प्रधानाध्यापक ने क्यों की रिटायरमेंट से एक दिन पहले आत्महत्या