'इमरजेंसी पर आपकी टिप्पणी चौंकाने वाली..', लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को कांग्रेस सांसद वेणुगोपाल का पत्र

नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने आज गुरुवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को जून 1975 में लगाए गए आपातकाल के बारे में संसद में दिए गए उनके बयान पर एक पत्र लिखा। उन्होंने इसे संसद की विश्वसनीयता को प्रभावित करने वाला एक गंभीर मामला बताया। कांग्रेस सांसद ने लिखा कि, "मैं यह पत्र संसद की संस्था की विश्वसनीयता को प्रभावित करने वाले एक बहुत ही गंभीर मामले के संदर्भ में लिख रहा हूं। कल यानी 26 जून 2024 को, लोकसभा अध्यक्ष के रूप में आपके चुनाव पर बधाई देने के समय, सदन में एक सामान्य सौहार्दपूर्ण माहौल था, जैसा कि ऐसे अवसरों पर होता है।"

लोकसभा अध्यक्ष की आपातकाल संबंधी टिप्पणी को "चौंकाने वाला" बताते हुए उन्होंने लिखा, "हालांकि, उसके बाद जो हुआ, जो कि आधी सदी पहले आपातकाल की घोषणा के बारे में आपके स्वीकृति भाषण के बाद अध्यक्ष की ओर से एक संदर्भ है, वह बहुत ही चौंकाने वाला है। अध्यक्ष की ओर से इस तरह का राजनीतिक संदर्भ संसद के इतिहास में अभूतपूर्व है। नवनिर्वाचित अध्यक्ष की ओर से 'प्रथम कर्तव्यों' में से एक के रूप में यह उल्लेख और भी गंभीर हो जाता है।" पत्र के अंत में लिखा गया है कि, "मैं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से संसदीय परंपराओं के इस अपमान पर गहरी चिंता और पीड़ा व्यक्त करता हूं।" 

मीडिया से बात करते हुए वेणुगोपाल ने कहा कि स्पीकर के मुंह से राजनीतिक बयानों से बचा जा सकता था। उन्होंने कहा कि, "लोकसभा अध्यक्ष ने आज आधिकारिक रूप से राहुल गांधी को विपक्ष का नेता घोषित। राहुल गांधी की ओर से उनसे मिलना और उनका धन्यवाद करना शिष्टाचार था। स्पीकर के मुंह से राजनीतिक बयानों से कल बचा जा सकता था, इस तरह का राजनीतिक संदेश सहयोग का संदेश नहीं देगा। राष्ट्रपति के अभिभाषण में क्या था? यह पिछली बार जैसा ही था। कुछ भी नया नहीं था। देश के युवाओं, महिलाओं, गरीबों, किसानों के लिए कोई उम्मीद नहीं थी।" 

बता दें कि इससे पहले बुधवार (26 जून) को लोकसभा ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया, जब स्पीकर ओम बिरला ने इस अधिनियम की निंदा करते हुए प्रस्ताव पढ़ा और कहा कि 25 जून, 1975 को हमेशा भारत के इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में जाना जाएगा। 1975 में लगाए गए आपातकाल के 50 वर्ष पूरे होने के अवसर पर, बिरला ने उन सभी लोगों की शक्ति और दृढ़ संकल्प की प्रशंसा की, जिन्होंने आपातकाल का पुरजोर विरोध किया, संघर्ष किया और भारत के लोकतंत्र की रक्षा की। दरअसल, 25 जून को आपातकाल की बरसी थी, जिसके कारण राजनेताओं द्वारा उसका जिक्र किया गया था और ऐसा कोई कदम ना उठाते हुए संविधान और लोकतंत्र की रक्षा करने की बात कही गई थी। 

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