वे बताते हैं, “गुरुजी का जीवन अभावों से भरा हुआ था। वे बहुत गरीब थे। उनकी बहन की शादी के वक़्त उनके पैसा पैसा नहीं था। तब उन्होंने संकल्प लिया था कि अगर कभी बालाजी की उन पर कृपा होगी तथा वे जो भी कमाएँगे उससे वह निर्धन कन्याओं की शादी कराएँगे। गुरुजी चाहते हैं कि जैसे वो अपनी बहन की शादी के लिए परेशान एवं दुखी हुए थे ऐसा किसी भाई को न होना पड़े। इसलिए, वह कन्याओं का विवाह कराते हैं।”