देश का दूसरा सबसे बड़े चारा घोटाले पर आज फैसला आना है. वहीँ रांची की सीबीआई की स्पेशल कोर्ट घोटाले के एक मामले में देवघर कोषागार से 89 लाख, 27 हजार रुपये की अवैध निकासी के मुकदमे को लेकर फैसला करेगी. इस मामले के मुख्य आरोपी बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद, पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा, विद्यासागर निषाद, आरके राणा, जगदीश शर्मा, ध्रुव भगत समेत 22 लोग के भाग्य का फैसला आज होना है वहीँ लगभग 21 सालों बाद इस मामले पर फैसला आना है. आपको बता दें कि इससे पहले चाईबासा कोषागार से 37 करोड़ 70 लाख रुपये अवैध ढंग से निकासी करने के चारा घोटाले के एक अन्य मामले में इन सभी को सजा हो चुकी है.
1990-97 के अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान लालू प्रसाद पर चारा घोटाला में शामिल होने का आरोप लगा. चारा घोटाला बिहार का सबसे चर्चित घोटाला था, जिसमें जानवरों को खिलाये जाने वाले चारे और पशुपालन से जुड़ी चीजों की खरीदारी के नाम पर करीब 950 करोड़ रुपये सरकारी खजाने से फर्जीवाड़ा करके निकाल लिए गए. चारा घोटाले मामले में 30 जुलाई, 1997 में लालू प्रसाद ने सीबीआई कोर्ट के सामने सरेंडर कर दिया था. उन्होंने मुख्यमंत्री पद से भी इस्तीफा दे दिया था.
साल 1990 से 1994 के बीच देवघर कोषागार से 89 लाख, 27 हजार रुपये का फर्जीवाड़ा कर अवैध ढंग से पशु चारे के नाम पर निकासी के इस मामले में कुल 38 लोगों को आरोपी बनाया गया.इनके खिलाफ सीबीआई ने 27 अक्टूबर, 1997 को केस दर्ज किया था.इस केस में लालू, पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा, बिहार के पूर्व मंत्री विद्यासागर निषाद, पीएसी के तत्कालीन अध्यक्ष जगदीश शर्मा, ध्रुव भगत, आर के राणा, तीन आईएएस अधिकारी- फूलचंद सिंह, बेक जूलियस और महेश प्रसाद, कोषागार के अधिकारी एस के भट्टाचार्य, पशु चिकित्सक डॉ. केके प्रसाद और अन्य चारा आपूर्तिकर्ता आरोपी थे. सभी 38 आरोपियों में से 11 की मौत हो चुकी है, वहीं 3 सीबीआई के गवाह बन गये जबकि 2 ने अपना गुनाह कुबूल कर लिया था, जिसके बाद उन्हें 2006-07 में ही सजा सुना दी गयी थी. शिवपाल सिंह की सीबीआई कोर्ट ने इस मामले में सभी पक्षों के गवाहों के बयान दर्ज करने और बहस के बाद अपना फैसला 13 दिसंबर को सुरक्षित रख लिया था.
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