आध्यात्मिक गुरू आए जल्लीकट्टू के समर्थन में

आध्यात्मिक गुरू आए जल्लीकट्टू के समर्थन में
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चेन्नई। जल्लीकट्टू को तमिलनाडु राज्य में प्रतिबंधित किए जाने के मामले में हजारों लोगों द्वारा प्रदर्शन किया जा रहा है। ऐसे में कलाकार, आध्यात्मिक गुरू और विभिन्न क्षेत्रों की हस्तियां इस आयोजन के समर्थन में आ गई हैं। इस मामले में सद्गुरू जग्गी वासुदेव, आॅस्कर अवार्ड विजेता म्यूजिक डायरेक्टर एआर रहमान और आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर ने इसका समर्थन किया है। उनका कहना था कि क्रिकेट में बाॅलिंग तेज होती है और उसकी गति खिलाड़ियों हेतु बेहद खतरनाक होती है।

ऐसे में इसे प्रतिबंधित कर देना चाहिए। इस मामले में एआर रहमान ने ट्विटर पर ट्विट करते हुए उपवास रखने की बात कही। गौरतलब है कि इस मामले को लेकर सर्वोच्च न्यायालय से अपील की गई थी कि वह अपना निर्णय कुछ दिन के लिए रोक ले। केंद्र सरकार और राज्य सरकार इस मामले में अध्यादेश बना रही है।

राज्य के मुख्यमंत्री पन्नीरसेल्वम ने इस मामले में कहा कि हम संशोधन को लेकर केंद्र सरकार के साथ कार्य कर रहे हैं। उन्होंने राज्य के वरिष्ठ आॅफिशियल्स को इस बारे में जानकारी दी है। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा लगाए गए प्रतिबंध को हटाने हेतु राज्य सरकार एग्जीक्युटिव आॅर्डर निकाल सकती है। सत्तासीन दल एआईएडीएमके की प्रमुख शशिकला ने कहा था कि इस आयोजन को गैर प्रतिबंधित करने के लिए आगामी सत्र में एक प्रस्ताव पारित कर सदन में चर्चा की जाएगी और फिर बैन हटाने के लिए पूरे प्रयास किए जाऐंगे। मरीना बीच पर लोगों द्वारा किए जाने वाला प्रदर्शन रात्रि से प्रारंभ हुआ था।

अब आंदोलन में लोगों की तादाद भी बढ़ती जा रही है। इतना ही नहीं मरीना बीच पर 50 हजार से 1 लाख प्रदर्शनकारी एकत्रित होकर विरोध करने में लगे हैं। गौरतलब है कि आयोजन को लेकर आयोजकों को करीब 2 लाख रूपए जमा करवाने और चिकित्सकों की टीम रखने के लिए नियम बनाए गए थे। जिससे हादसे के दौरान किसी भी खराब स्थिति का हल किया जा सके। केंद्रीय राज्य मंत्री पोन राधाकृष्णन ने इस मामले में पर्यावरण मंत्रालय अनिल दवे से भेंट की।

राधाकृष्णन द्वारा कहा गया कि वे होम मिनिस्टर से भेंट करेंगे। उनका कहना था कि पेटा बिना कारण हस्तक्षेप करने में लगा है। आध्यात्मिक गुरू श्रीश्री रविशंकर का कहना था कि वे जल्लीकट्टू के समर्थन में हैं। प्रदर्शनकारियों ने अपना आंदोलन शांतिपूर्ण तरह से करने की अपील भी की है। जग्गीवासुदेव ने कहा कि जल्लीकट्टू पशुओं को समर्पित पर्व है। इसे सांस्कृतिक तरह से मनाना होगा। उनका कहना था कि यह तो सांडों के साथ खेलने का आयोजनन है। उन्हें गले लगाया जाता है वे कैसे खेलते हैं और खुद को किस तरह से शामिल करते हैं यह वह खेल है।

 

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