नई दिल्ली: राजनीतिक पार्टियों के चंदे पर छिड़ी बहस के बीच सामने आई एडीआर की रिपोर्ट ने सनसनीखेज खुलासा किया है. रिपोर्ट के अनुसार देश के राजनीतिक दलों की कमाई का 69 फीसदी हिस्सा अघोषित स्रोतों से आता हैं जिसकी जानकारी राजनीतिक दल चुनाव आयोग और आयकर विभाग को नहीं देते हैं.
एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार 2004-से 2015 के अधिकांश वक्त सत्तारूढ़ रही कांग्रेस पार्टी को सबसे ज्यादा 3982 करोड़ रूपये मिले जिसमें 3323 करोड़ रूपये यानि क़रीब 83 फीसदी पैसों के स्रोत का अता पता नहीं है.
मायावती की BSP को तो इस दौरान एक भी पैसा ज्ञात स्रोतों से नहीं मिलने का दावा किया गया है. इसका मतलब ये कि पार्टी को मिले कुल 763 करोड़ में से एक भी चंदा 20000 रूपये से ज्यादा का नहीं था.
समाजवादी पार्टी को दस साल में कुल 819 करोड़ रूपये मिले जिसमें 766 करोड़ रूपयों का स्रोत मालूम नहीं है यानि 93 फीसदी स्रोत अज्ञात है. आम आदमी पार्टी के गठन के बाद 2014-15 तक 110 करोड़ रूपये मिले जिसमें 63 करोड़ रूपये कहां से आए नहीं पता यानी करीब 58 फीसदी स्रोत अज्ञात है.
2004-05 से 2014-2015 के बीच पार्टियों के मिले चंदे का 69 फीसदी अज्ञात स्रोत से आया. इस दौरान कुल 11,367 करोड़ रूपये राजनैतिक पार्टियों को चंदा मिला जिसमें 7832 करोड़, यानि तक़रीबन 69 फीसदी, अज्ञात स्रोतों से आया है.
दरअसल राजनीतिक पार्टियों को बीस हजार से ऊपर की रकम का स्रोत बताना ही जरूरी है. इसलिए अक्सर राजनैतिक पार्टियां अपना चंदा 20 हजार से कम ही दिखाती हैं.
अब एडीआर ने मांग की है कि राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे और पैसों में पारदर्शिता लाने के लिए ज़रूरी है वो भी एक एक पैसे का चंदा डीजिटल पेमेंट के ज़रिए ही लें. एडीआर का ये भी सुझाव है कि जब तक राजनीतिक दलों को आरटीआई के दायरे में नहीं लाया जाता तबतक हालात नहीं बदलेंगे.
और पढ़े-
अखिलेश ने पूछा कहा है अच्छे दिन
चुनावी दंगल में उतरी मुलायम की छोटी बहू
सनी देओल होने जा रहे है भाजपा में शामिल