नई दिल्ली : केंद्र सरकार डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देना चाहती है. इसके लिए सरकार ने नीति आयोग में आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व में एक उप समिति गठित की थी. इस समिति ने बैंकों से 50,000 रु. और इससे अधिक नकद निकासी पर बैंकिंग कैश ट्रांजेक्शन टैक्स (बीसीटीटी) लगाने की सिफारिश की है. इस उपसमिति ने मंगलवार को प्रधानमंत्री को अपनी अंतरिम रिपोर्ट सौंप दी.
इस उप समिति की रिपोर्ट में आयकर के दायरे में न आने वालों और छोटे दुकानदारों को स्मार्टफोन खरीदने पर 1,000 रु. सब्सिडी देने और प्वाइंट आॅफ सेल (पीओएस) मशीन से भुगतान पर लगने वाले मर्चेंट डिसकाउंट रेट (एमडीआर) को कम करने या पूरी तरह से समाप्त करने को भी कहा गया है. माना जा रहा है कि 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट में भी केंद्र सरकार की ओर से डिजिटल पेमेंट्स पर तमाम तरह की छूटों की घोषणा हो सकती है.
आपको जानकारी दें कि वर्ष 2005 में यूपीए सरकार ने 25,000 रुपए से अधिक की नकद निकासी पर राजस्व प्राप्त करने के उद्देश्य से टैक्स लगाना चाहती थी, लेकिन उस समय डिजिटल लेनदेन के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार नहीं था.आज ‘आधार’ नंबर आधारित बायोमेट्रिक पहचान की सुविधा मौजूद है. समिति ने डिजिटल लेनदेन को और सुरक्षित करने के लिए हर लेनदेन पर बीमा मुहैया कराने की सिफारिश की है.
इसके अलावा सालाना आय से निर्धारित राशि लेनदेन डिजिटल माध्यम से करने पर टैक्स में छूट,बायोमेट्रिक मशीन की खरीद पर दुकानदारों को 50% सब्सिडी,डिजिटल भुगतान स्वीकार करने वाले कारोबारियों से पिछले भुगतान की कोई पूछताछ नहीं,बसों-ट्रेनों में कांटेक्टलेस भुगतान को बढ़ावा देने,शहरी-ग्रामीण सहकारी बैंक भी डिजिटल लेनदेन में शामिल होने,यूपीआई एप को क्यूआर कोड आधारित बनाने,देश के सभी 1.54 लाख डाकघरों में आधार आधारित माइक्रो एटीएम लगाने तथा सभी पेमेंट बैंकों और बिजनेस कॉरेस्पोंडेंट्स को एईपीएस के जरिये इंटरपोर्टेबल करने जैसी अन्य सिफारिशें की गई है.
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