डेढ़ करोड़ का तलाक

डेढ़ करोड़ का तलाक
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नई दिल्ली : यह जानकर बड़ा अचरज होगा कि एक पति को अपनी पत्नी से तलाक पाने के लिए डेढ़ करोड़ का भुगतान करना पड़ेगा.सुप्रीम कोर्ट ने भारी-भरकम आर्थिक भत्ते के साथ 17 साल से पत्नी की यातनाओं के खिलाफ अदालती लड़ाई लड़ रहे पति की तलाक की चाहत को पूरा कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में तलाक की मांग कर रहे पति से कहा कि वह पत्नी को एक करोड़ रुपए का फ्लैट 50 लाख रुपए एकमुश्त गुजारा-भत्ता दे ताकि वह सम्मानपूर्वक अपना जीवन यापन कर सके.

यह मामला उदयपुर के राज तलरेजा का है.राज का विवाह कविता तलरेजा से 1989 में हुआ था. अगले ही साल कविता ने बेटे को जन्म दिया. शादी के बाद लगभग दस साल तक दोनों साथ रहे. 1999 में दोनों ने अलग-अलग रहना शुरू किया, एक साल बाद ही राज ने पत्नी से अलग होने के लिए तलाक की याचिका फेमिली कोर्ट में दायर की. इस याचिका के बाद पत्नी कविता ने राज के खिलाफ शिकायतों का ढेर लगा दिया. बता दें कि पत्नी कविता ने पति राज के खिलाफ लगातार झूठी शिकायतें कीं. स्थानीय पुलिस से लेकर राजस्थान के मुख्यमंत्री और हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को शिकायती पत्र लिखे. पुलिस ने जांच में पत्नी की शिकायतों को फर्जी पाया. पुलिस ने झूठी एफआईआर दर्ज करने के आरोप में पत्नी के खिलाफ ही आईपीसी की धारा 182 के तहत उसी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया.

उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने माना कि पत्नी की झूठी शिकायतें निश्चित रूप से पति को बदनाम करने के लिए की गईं थी. हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13 के तहत यह क्रूरता के दायरे में आता है. हालांकि यह हो सकता है कि पति के तलाक की याचिका दायर करने पर पत्नी ने गुस्से में यह कदम उठाया हो, लेकिन कानून किसी भी नागरिक को झूठी और मनगढ़ंत शिकायतें करने की इजाजत नहीं देता. पति को परेशान करने का यह हथकंडा पति को अलग रहने और तलाक पाने का हक देता है.

सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट और राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले को गलत बताया. बता दें कि दोनों अदालतों ने पत्नी के अलग रहने के बावजूद वैवाहिक दायित्व निभाने वाले बयान पर ज्यादा भरोसा किया था.जिसे सुप्रीम कोर्ट ने जो कानूनी रूप से जायज नहीं माना.

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