गुवाहाटी: असम के सीएम और भाजपा नेता हिमंत बिस्वा सरमा ने आज कहा कि पिछले 40 वर्षों में 1.25 करोड़ से अधिक बांग्लादेशी घुसपैठिए असम में दाखिल हुए हैं। सीएम सरमा ने झारखंड में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि पिछले 40 वर्षों में लगभग 1 करोड़ 25 लाख बांग्लादेशी असम में घुसपैठ कर चुके हैं और असम के मूल लोग अपनी पहचान लगभग खो चुके हैं।
रांची में प्रेस वार्ता में एक सवाल का जवाब देते हुए सीएम सरमा ने कहा कि घुसपैठ की शुरुआत 40 साल पहले कांग्रेस शासनकाल में हुई थी। लेकिन तत्कालीन कांग्रेस सरकार विभिन्न राजनीतिक कारणों से इसे रोक नहीं सकी या उन्हें इसके खतरे का अंदाज़ा नहीं था। अब भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के लिए स्थिति को बदलना बेहद मुश्किल काम है। उन्होंने आगे कहा कि असम विधानसभा में प्रवासी मुसलमानों के 40 विधायक हैं। यही नहीं वे मंत्री, विधानसभा अध्यक्ष, मजिस्ट्रेट, डिप्टी कमिश्नर और न जाने क्या-क्या बन चुके हैं। अब उनकी पहचान करना भी मुश्किल हो चुका है। अब इसे कैसे रोका जा सकता है, अब हम सिर्फ इसका प्रतिकार ही कर सकते हैं।'
उन्होंने आगे कहा कि झारखंड को सतर्क हो जाना चाहिए और ऐसी स्थिति का इंतज़ार नहीं करना चाहिए। एक पीड़ित राज्य का सीएम होने के नाते मैं कहना चाहूंगा कि यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है, यह भाजपा, कांग्रेस या JMM का मामला नहीं है, बल्कि यह झारखंड के भविष्य का मामला है। राज्य में कानून प्रवर्तन एजेंसियों का यह कर्तव्य है कि जो भी पहचान में आएं, उन घुसपैठियों को राज्य से बाहर निकालें। ये कैंसर की तरह हैं। यदि आप अभी कीमोथेरेपी नहीं करेंगे तो बाद में बहुत देर हो जाएगी। सीएम सरमा ने यह भी कहा कि हमें जो 40 साल पहले करना चाहिए था, हम नहीं कर पाए। उस समय हमारे पास नरेंद्र मोदी नहीं थे, लेकिन सौभाग्य से झारखंड के साथ पीएम मोदी हैं। इसलिए अब राज्य में अवैध प्रवास को रोकना होगा। अन्यथा, 20 वर्षों के बाद एक जिले में जो हो रहा है, वह पूरे राज्य में फैल जाएगा। उन्होंने आगे कहा, अगर झारखंड, असम या बंगाल जैसा हश्र नहीं झेलना चाहता, तो घुसपैठियों से लड़ने के लिए तैयार रहें।
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