1 मई 2018: मजदुर दिवस की कहानी

1 मई 2018: मजदुर दिवस की कहानी
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इंदौर: अंतराष्‍ट्रीय तौर पर मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत 1 मई 1886 को हुई. भारत में लेबर किसान पार्टी ऑफ हिन्‍दुस्‍तान ने 1 मई 1923 को मद्रास में इसकी शुरुआत की थी. हालांकि उस समय इसे मद्रास दिवस के रूप में मनाया जाता था.अंतराष्‍ट्रीय तौर पर मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत 1 मई 1886 को हुई थी. इस दिन देश की लगभग सभी कंपनियों में छुट्टी रहती है. भारत ही नहीं दुनिया के करीब 80 देशों में इस दिन राष्‍ट्रीय छुट्टी होती है. भारत में मजदूर दिवस कामकाजी लोगों के सम्‍मान में मनाया जाता है. 

अमेरिका में 1886 में जब मजदूर संगठनों द्वारा एक शिफ्ट में काम करने की अधिकतम सीमा 8 घंटे करने के लिए हड़ताल की जा रही थी. इस हड़ताल के दौरान एक अज्ञात शख्स ने शिकागो की हेय मार्केट में बम फोड़ दिया, इसी दौरान पुलिस ने मजदूरों पर गोलियां चला दीं, जिसमें 7 मजदूरों की मौत हो गयी. इस घटना के कुछ समय बाद ही अमेरिका ने मजदूरों के एक शिफ्ट में काम करने की अधिकतम सीमा 8 घंटे निश्चित कर दी थी. तभी से अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस 1 मई को मनाया जाता है. इसे सिर्फ एक दिन मनाकर भुला दिया जाता है. मगर हकीकत तो यह है कि ...

'मजदुर नहीं साहब समाज का बुनियादी हिस्सा है.
बुनियादी हिस्सा है फिर भी कहानियों का ही किस्सा है.'

'सुबह से लेकर शाम तक नंगे बदन पर बोझ उठाते है.
बेईमानी नहीं बाइज्जत हम दो वक़्त की रोटी कमाते है.'

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