अब तक तो देश में प्रमुख राजनीतिक दलों के तौर पर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस को लेकर ही चर्चा होती थी। केंद्र की राजनीति प्रमुखतौर पर भाजपा कांग्रेस के दांवपेंच पर ही निर्भर थी। अन्य दल क्षेत्रीय दलों और वर्ग विशेष को लुभाने वाले राजनीतिक दलों के तौर पर जाने जाते थे जो कि संघीय स्तर पर सरकार गठन के निर्णय को प्रभावित करते थे। मगर वर्ष 2013 से भारत की राजनीति में बदलाव आने लगा।
एक आंदोलन ने जनआंदोलन का रूप लिया जिसके बाद यह आंदोलन व्यापक हुआ और देखते ही देखते एक राजनीतिक दल अस्तित्व में आ गया है। वह दल जिसने न केवल दिल्ली राज्य की सरकार के गठन को प्रभावित किया बल्कि केंद्र में पंजाब क्षेत्र की संसदीय सीटें जीतकर गठबंधन सरकार के लिए मुश्किलें कर दीं। हालांकि दिल्ली में आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में वर्ष 2013 में ही पार्टी की सरकार बन गई थी
लेकिन जनलोकपाल बिल के आंदोलन से लोगों के बीच पहचान बनाने वाली सरकार ने अपने उसूलों से समझौता नहीं किया और मुख्यमंत्री बने अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद दोबारा राज्य में चुनाव होने पर आम आदमी पार्टी की सरकार बहुमत से बनी। वर्ष 2014 में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के कार्यकाल में सरकार ने अच्छा कार्य करना प्रारंभ कर दिया।
जिसमें सरकार ने दिल्ली के निवासियों को सस्ते दर पर विद्युत प्रदाय की सुविधा प्रदान की। तो पेय जल के लिए हाउसिंग सोसायटियों के अतिरिक्त अन्य लोगों को निशुल्क व्यवस्था की। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का जनता दरबार भी बहुत ही लोकप्रिय रहा। दिल्ली में लोक परिवहन हेतु बसें प्रारंभ हुईं और इन बसों में महिला सुरक्षा को लेकर बाउंसर्स की नियुक्तियों को लेकर सरकार ने वैचारिक आधार रखा।
हालांकि दिल्ली पुलिस और दिल्ली की राज्य सरकार के बीच सुरक्षा और कानून व्यवस्था जैसे मसले पर समन्वय नहीं हुआ। दरअसल दिल्ली पुलिस केंद्र सरकार के अधीन कार्ररत है। केंद्रीय विभागों और मंत्रालयों से दिल्ली की राज्य सरकार को असहयोग की परेशानियों का सामना भी सरकार को करना पड़ा। दिल्ली डायलाॅग का उद्देश्य दिल्ली के विकास हेतु एक विशेष खाका तैयार करना था। जिसे महत्व दिया गया।
आम आदमी पार्टी ने अपने 70 सूत्रीय मसौदों पर कार्य करने की बात की। सबसे बड़ी बात रही आम आदमी पार्टी ने बहुमत में आने के साथ राज्य विधानसभा में जनलोकपाल बिल को पारित कर दिया। मगर केंद्र की भाजपा नेतृत्व वाली सरकार से समन्वय की कमी यहां भी खली। दिल्ली में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए भी राज्य सरकार ने एक अनूठा काॅन्सेप्ट दिया।
जिसमें आॅड और ईवन फाॅर्मूले के आधार पर कार्य करने को लेकर सरकार ने कार्य किया। जिससे दिल्ली की यातायात व्यवस्था में कुछ बदलाव आया तो वहीं प्रदूषण में कमी किए जाने का एक आधार मिला। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में दिल्ली के पाॅवर स्टेशन की स्थापना की बात कही है। जिसके माध्यम से 6200 मैगावाट विद्युत का उत्पादन करने में सहायता मिलने की बात कही गई है।
उनका कहना था कि राजघाट और बवाना में संयंत्र के संचालन की चर्चा की गई। यहीं नहीं ऊर्जा जरूरतों को पूर्ण करने के लिए दिल्ली को सोलर सिटी बनाने की घोषणा की गई। दिल्ली में यमुना नदी को फिर से पुनर्जीवित करने की बात पर आम आदमी ने विचार जरूर किया है।
हालांकि इस दिशा में राज्य सरकार अधिक कुछ नहीं कर पाई है। मगर सरकार के करीब - करीब 1 वर्ष के कार्यकाल को लेकर यह माना जा सकता है कि पूर्ण राज्य का दर्जा न मिलने के बाद भी दिल्ली में आम आदमी पार्टी नीत सरकार जनता के लिए अच्छा कार्य कर रही है।
'लव गडकरी'