सड़कों पर वाहनों के बढ़ते दबाव के ने देश के महानागर और छोटे शहर सभी परेशान है. एक चौकाने वाले आंकड़े के तहत दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और कोलकाता इन चार प्रमुख शहरों में पीक अवर्सके दौरान ट्रैफिक जाम से इकनॉमी को सालाना 1.47 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है. ग्लोबल कंसल्टेंसी फर्म की ओर से की गई एक स्टडी में इस बात पर रौशनी डाली है. बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (BCG) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस सर्वे में सुबह 7-9 और शाम को 6-8 बजे के समय के पीक अवर्स में रखा गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि नॉन पीक अवर्स के मुकाबले पीक अवर्स में लोगों को दूरी तय करने में डेढ़ गुना से ज्यादा समय लगता है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि आने-जाने के लिए जब पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करने की बात आती है तो मुंबई इस लिस्ट में टॉप पर है. इसके बाद कोलकाता का नंबर आता है. वहीं, बेंगलुरु का प्रदर्शन सबसे खराब है. कोलकाता में मिनी बसें ट्रांसपोर्ट का मुख्य साधन हैं. कोलकाता में बड़ी संख्या में लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन रोड नेटवर्क के कम हिस्सेदारी के कारण शहर में ट्रैफिक जाम काफी ज्यादा रहता है. वहीं, बेंगलुरु में भी स्थिति चिंताजनक है.
स्टडी में यह बात सामने आई है कि इन चार शहरों में कोलकाता की स्थिति सबसे खराब है. वहीं, बेंगलुरु ट्रैफिक जाम के मामले में दूसरे नंबर पर है. वहीं, दिल्ली में सबसे ज्यादा संख्या में रजिस्टर्ड व्हीकल्स (1 करोड़ से ज्यादा) हैं, लेकिन इसके बावजूद अच्छे रोड नेटवर्क के बाद भी यहां स्थिति अच्छी है. दिल्ली के टोटल एरिया में रोड नेटवर्क की हिस्सेदारी करीब 12 फीसदी है. इसके उलट, कोलकाता में रोड नेटवर्क इसके टोटल एरिया का महज 6 फीसदी है. इस सर्वे में हर शहर से 300 लोगों को कवर किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में सबसे ज्यादा 45 फीसदी लोग अपनी प्राइवेट कारों का इस्तेमाल करते हुए सफर करते हैं. वहीं, बेंगलुरु में उनकी हिस्सेदारी 38 फीसदी है.
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