इस्लामाबाद : पुलिस और कट्टरपंथी धार्मिक गुटों के प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पों में 10 लोगों के मारे जाने और 250 से अधिक के घायल होने से हालात बिगड़ने पर कानून व्यवस्था बहाल करने के लिए सेना से मदद मांगी है.
उल्लेखनीय है कि प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिये पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों ने शनिवार को अभियान शुरू किया जिसके बाद झड़पों में 250 से अधिक लोग घायल हो गये. यहां हरीक-ए-खत्म-ए-नबूवत, तहरीक-ए-लबैक या रसूल अल्लाह (टीएलवाईआर) और सुन्नी तहरीक पाकिस्तान (एसटी) के करीब 2,000 कार्यकर्ता ने पिछले दो हफ्ते से इस्लामाबाद एक्सप्रेसवे और मुर्री रोड की घेराबंदी कर रखी थी.बता दें कि यह सड़क इस्लामाबाद को इसके एकमात्र हवाईअड्डे और सेना के गढ़ रावलपिंडी को जोड़ता है. इसलिए अहम है.
आपको बता दें कि पुलिस , अर्धसैनिक बलों और प्रदर्शनकारियों द्वारा हटाने के प्रयास में झड़पों के हिंसक हो जाने पर सुरक्षा बलों को पीछे हटना पड़ा. स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार 250 से अधिक लोग घायल हुए हैं जिनमें कम से कम 95 सुरक्षाकर्मी शामिल हैं.घायलों को इस्लामाबाद और रावलपिंडी के विभिन्न अस्पतालों में दाखिल कराया गया है.
सूत्रों के अनुसार राजधानी में सेना तैनात करने की सरकार की मांग के बीच प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी और सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा स्थिति पर विचार विमर्श के लिए बैठक कर सकते हैं.जनरल बाजवा संयुक्त राष्ट्र अमीरात की यात्रा अधूरी छोड़कर वापस स्वदेश आ गए हैं.प्रदर्शनकारी सितंबर में चुनाव कानून 2017 में खत्म-ए-नबूवत के उल्लेख से संबंधित पारित बदलाव को लेकर कानून मंत्री जाहिद हमीद के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं.
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