100+ सीटें, CM पद..! महाराष्ट्र में कांग्रेस की डिमांड, मुस्लिम बहुल सीटों को लेकर खींचतान

100+ सीटें, CM पद..! महाराष्ट्र में कांग्रेस की डिमांड, मुस्लिम बहुल सीटों को लेकर खींचतान
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मुंबई: महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी (MVA) के भीतर अब तक सीट बंटवारे पर कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है, लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस की नजर मुख्यमंत्री पद पर है। हालांकि, पार्टी ने इसे लेकर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा है, लेकिन कई नेता ऐसे संकेत दे चुके हैं। इस बार कांग्रेस 100 से कम सीटों पर समझौता करने के मूड में नहीं है, जबकि 2019 में पार्टी डिप्टी सीएम पद के लिए भी अपने गठबंधन साथियों को मना नहीं पाई थी।

रिपोर्टों के अनुसार, कांग्रेस इस बार महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में सबसे अधिक सीटों पर दावा कर रही है और मुख्यमंत्री पद पर भी नजर रखे हुए है। 2019 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने 17 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 13 सीटें जीती थीं, जबकि शिवसेना (UBT) ने 21 में से 9 सीटें और एनसीपी (SP) ने 10 में से 8 सीटें जीती थीं। इन आंकड़ों को देखते हुए कांग्रेस को उम्मीद है कि विधानसभा चुनावों में उसका प्रदर्शन बेहतर रहेगा और सीट बंटवारे में उसकी स्थिति मजबूत होगी। कांग्रेस के कुछ नेताओं का मानना है कि अगर वे बेहतर परिणाम दे पाए, तो मुख्यमंत्री पद पर भी उनका दावा पुख्ता हो सकता है।

सूत्रों की मानें तो कांग्रेस 288 विधानसभा सीटों में से 110-115 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। वहीं, शिवसेना (UBT) के लिए 90-95 सीटें और एनसीपी (SP) के लिए 80-85 सीटें छोड़ी जा सकती हैं। हालांकि, सीटों की संख्या पर अब तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। कांग्रेस आलाकमान 100 से कम सीटों पर समझौता करने के लिए तैयार नहीं है। कांग्रेस के कुछ नेता पहले ही यह संकेत दे चुके हैं कि चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित नहीं किया जाएगा, लेकिन राज्य के नेता अपने बयान से इस ओर इशारा कर रहे हैं। हाल ही में बालासाहेब थोराट ने कहा था कि अगला मुख्यमंत्री कांग्रेस से होगा, जबकि प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले को कई नेताओं द्वारा नागपुर के एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में पेश किया गया था।

यहां सवाल यह है कि क्या कांग्रेस महाराष्ट्र में अतिउत्साह दिखा रही है? पहले भी कांग्रेस और शिवसेना के बीच मुस्लिम बहुल सीटों पर खींचतान देखने को मिली थी। दोनों पार्टियां मुस्लिम वोटरों को अपने पक्ष में करना चाहती हैं, क्योंकि यह माना जाता है कि मुस्लिम मतदाता एकतरफा भाजपा के खिलाफ वोट करते हैं, जिससे विपक्षी उम्मीदवारों की जीत की संभावना बढ़ जाती है। दूसरी ओर, हिंदू मतदाता का वोटिंग पैटर्न अधिक विभाजित रहता है और जातिगत आधार पर उन्हें बांटकर राजनीतिक फायदा उठाया जा सकता है। विपक्षी दल भाजपा के हिंदुत्व के खिलाफ जातिवादी राजनीति को बढ़ावा देते हैं ताकि 80 प्रतिशत हिंदू वोटों में जातिगत विभाजन कर उनका फायदा उठा सकें। अगर इनमें से आधे वोट भी विपक्षी खेमे में चले जाते हैं, तो सत्ता हासिल करना आसान हो जाएगा, क्योंकि 20 प्रतिशत मुस्लिम वोट उसी तरफ जाएगा, जहाँ कांग्रेस होगी। इस स्थिति में सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस की यह रणनीति सफल होगी या वह अतिउत्साही हो रही है? कांग्रेस को यह भी देखना होगा कि वह अपने गठबंधन सहयोगियों के साथ तालमेल बिठाकर किस हद तक चुनावी सफलता हासिल कर पाती है।

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