केरल में अपने ही पिता से प्रेगनेंट हुई 10 वर्षीय बच्ची के केस में केरल हाई कोर्ट ने बीते गुरुवार को अहम निर्देश जारी किया। जी दरअसल कोर्ट ने मेडिकल बोर्ड से प्रेगनेंसी के मेडिकल टर्मिनेशन पर उचित निर्णय लेने का निर्देश दिया है। आप सभी को बता दें कि इससे पहले मेडिकल बोर्ड ने मामले में अपनी राय दी थी। वहीँ उस समय मेडिकल बोर्ड ने कहा था कि चूंकि गर्भ 31 सप्ताह का हो चुका है और ऑपरेशन से डिलीवरी करनी होगी। जी हाँ और ऐसे में इस बात की 80 फीसदी तक संभावना है कि नवजात शिशु बच जाए।
आप सभी को हम यह भी बता दें कि 10 वर्षीय बच्ची की मां ने उसके स्वास्थ्य और मानसिक हालत का हवाला देते हुए कोर्ट का रुख किया था। इस मामले में जस्टिस पीवी कुन्हीकृष्णन की सिंगल बेंच ने मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि ''बच्ची का पिता ही आरोपी है। अगर यह आरोप सही है तो कोर्ट इस बात पर शर्मिंदा है।'' इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि, 'पूरे समाज के लिए यह शर्मनाक है। कानून के लंबे हाथों से आरोपी बच नहीं पाएगा और दोषी पाए जाने पर उसे सजा जरूर होगी।'
दूसरी तरफ कोर्ट मेडिकल बोर्ड को एक हफ्ते के अंदर इस मामले में उचित निर्णय लेने का आदेश दिया। जी दरअसल कोर्ट ने कहा कि, 'अगर नवजात शिशु जिंदा रहता है और लड़की के माता-पिता उसकी जिम्मेदारी लेने की स्थिति में नहीं रहते तो यह सरकार और उसकी अन्य संस्थाओं की जिम्मेदारी बनती है उसकी देखभाल करें।'
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