प्रयागराज: महाकुंभ 2025 के दौरान 11 भक्तों की मौत की झूठी अफवाह फैलाने के आरोप में उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के एक युवक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। इस मामले ने न केवल प्रशासन की सतर्कता पर सवाल खड़े किए बल्कि धार्मिक आयोजन को बदनाम करने की साजिश को भी उजागर किया। सोमवार को मामला तब सामने आया जब शिकायतकर्ता अवकुश कुमार सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इस झूठे दावे की जानकारी दी। आरोपी लालू यादव संजीव ने अपने फेसबुक पोस्ट में दावा किया था कि महाकुंभ स्नान के दौरान ठंड के कारण 11 भक्तों की हार्ट अटैक से मौत हो गई है और आईसीयू इमरजेंसी कैंप मरीजों से भरे हुए हैं।
पुलिस जांच में यह पोस्ट पूरी तरह से झूठी और भ्रामक पाई गई। इस पोस्ट ने लोगों के बीच डर और अस्थिरता फैलाने का काम किया। पखड़ी थाना क्षेत्र के एसएचओ राजेंद्र प्रसाद सिंह की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गई। मामला भारतीय दंड संहिता की धारा 353(2) के तहत दर्ज हुआ और जांच डिप्टी सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस मोहम्मद फहीम कुरैशी को सौंपी गई। भारत के बहुसंख्यक आबादी के पवित्र आयोजन महाकुंभ को लेकर इस तरह की घटनाएं कोई नई बात नहीं हैं।
दरअसल, हाल के वर्षों में देखा गया है कि कुछ इस्लामवादी, वामपंथी और विपक्षी पार्टियों के समर्थक, इस तरह की झूठी खबरें फैलाकर भारत की व्यवस्था को बदनाम करने की कोशिश करते हैं। इन अफवाहों का उद्देश्य धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना, लोगों में दहशत फैलाना और देश की छवि को धूमिल करना है। हालांकि पुलिस इस तरह की साजिशों को विफल करने के लिए पूरी तरह से सतर्क है। इस मामले में आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है और जांच जारी है। पुलिस ने जनता से अपील की है कि सोशल मीडिया पर किसी भी जानकारी की सत्यता जांचे बिना उस पर यकीन न करें और न ही इसे आगे फैलाएं।
एक जिम्मेदार नागरिक के तौर पर यह हमारी जिम्मेदारी है कि ऐसी झूठी खबरों पर तुरंत प्रतिक्रिया दें और उनकी शिकायत पुलिस में करें। अफवाहों को रोकना न केवल प्रशासन का काम है, बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है। भारत के खिलाफ साजिशें रचने वाले ऐसे अपराधियों पर कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करना हर भारतीय का दायित्व है। इस तरह की घटनाएं हमें यह याद दिलाती हैं कि हमारी सतर्कता और एकजुटता ही इन साजिशों का जवाब है। महाकुंभ जैसे पवित्र आयोजनों की गरिमा बनाए रखने के लिए हम सबको अपनी भूमिका निभानी होगी।