नई दिल्ली: कोविड-19 काल की बंदी के बाद दिल्ली में बच्चों के गायब होने का सिलसिला बढ़ता ही जा रहा है। बीते 8 महीने में औसतन रोजाना 11 बच्चे गायब हो रहे है। जिसमे सबसे अधिक बाहरी उतरी जिला से बच्चे गायब हुए। द्वितीय नंबर बाहरी शहर का है। इस केस में सबसे अच्छी स्थिति नई दिल्ली की है। यहां से इस दौरान सिर्फ नौ बच्चे गायब हुए हैं।
जंहा इस बात पता चला है कि दिल्ली पुलिस रोजाना औसतन 7 बच्चों को ढूढ़कर वापस उनके परिजनों से मिला रही है। बच्चों को किडनेप करने वाले जिन बदमाशों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है, उनसे पता चलता है कि इनके गैंग संगठित तौर पर कार्य करते हैं। यह बच्चों को किसी की सूनी गोद भरने, मानव तस्करी, यौन शोषण, देह -व्यापार, अंग तस्करी और बंधुवा मजदूरी करवाने के लिए किडनेप करते हैं। दिल्ली पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, अगस्त 2020 तक 2600 से अधिक बच्चे गायब हुए। जिसमे सबसे ज्यादा 344 बच्चे बाहरी-उतरी जिले से गायब हुए। जंहा अब तक 254 बच्चे लापता हुए हैं। वहीं नई दिल्ली से महज 9 तो मध्य जिला से 99 बच्चे किडनेप हो चुके है। सबसे ज्यादा बच्चे अलीपुर, शाहबाद डेयरी और नरेला जैसे इलाकों से गायब हो रहे हैं।
50 बच्चे ढूंढने पर पदोन्नति: किडनेप किए गए या अपने परिवारों से बिछड़े बच्चों को तलाश करने के लिए दिल्ली पुलिस आयुक्त एसएन श्रीवास्तव ने हाल ही में एक वर्ष में 50 बच्चों को ढूढ़ने वाले हवलदार या सिपाही को बारी से पहले पदोन्नति देने का वचन दिया है। सभी बच्चे 14 वर्ष से कम उम्र के होने चाहिए। इनमें भी 35 बच्चे 14 वर्ष से कम और बाकी 15 बच्चे 8 वर्ष से कम होने चाहिए। इसी तरह एक वर्ष में अगर कोई पुलिसकर्मी 20 बच्चों की भी तलाश की जा रही है तो उसे असाधारण कार्य पुरस्कार से भी नवाजने का वचन दिया गया है। इसके लिए 15 बच्चे 14 साल से कम और कम से कम पांच बच्चे 8 वर्ष से कम होना चाहिए।
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