गिरिडीह: अच्छी नौकरी और बढ़िया वेतन के सपने संजोए मलेशिया गए झारखण्ड के मजदूरों के अरमानों पर पानी फिर गया है यहां तक कि वे अब गैर कानूनी तरीके से भी मलेशिया में रहने के लिए मजबूर हैं. विदेश में बुरी तरह फंसे मजदूरों ने वतन वापसी के लिए गुहार लगाई है, इनमें गिरिडीह के अलावा बोकारो व हजारीबाग जिले के मजदूर शामिल हैं. बताया जाता है कि ठेकेदार 25-30 हजार रुपया वेतन दिलाने की बात कह मजदूरों को इसी वर्ष जनवरी माह में मलेशिया ले गया था. वहां मजदूरों को तेल बनाने वाली कंपनी में काम मिला, लेकिन मजदूरों को काम के एवज में 8000 रुपया वेतन दिया जा रहा है, इसके अलावा कोई अन्य सुविधा भी नहीं दी जा रही है.
ठगी के शिकार हुए मजदुर वहां काफी मुश्किल हालातों का सामना कर रहे हैं, मजदूरों की वीजा अवधि भी समाप्त हो गई है, उनका पासपोर्ट कंपनी ने रख लिया है, जिस कारण वे वहां अवैध रूप से रहने को मजबूर हैं. मजदूरों द्वारा व्हाट्सएप पर बनाए गए प्रवासी ग्रुप के एडमिन सिकंदर अली ने बताया कि गिरिडीह जिले के बगोदर थाना अंतर्गत चिचाकी के जीवलाल महतो, कसियाडीह के शिबू महतो, चेतलाल महतो, बोकारो जिला के नावाडीह थाना अंतर्गत पोसटे के जागेश्वर महतो, हजारीबाग जिले के विष्णुगढ़ के छोटकी भेलवारा निवासी दिलेश्वर महतो, गांगो महतो, देवचंद महतो, महतोइया के जीवाधन महतो, गोविंदपुर के भुनेश्वर महतो, ठाकुर नरकी के धनपत महतो मलेशिया में फंसे हुए हैं.
मलेशिया में फंसे मजदूरों ने अपनी आपबीती वाट्सअप के माध्यम से विष्णुगढ़ के हीरामन महतो को भी बताई है, इसमें उन्होंने बताया है कि यह सभी मैंडास कंपनी में काम कर रहे थे, लेकिन वायदे के मुताबिक उन्हें आधा पैसा भी नहीं दिया जा रहा था, इस बार जब उन्होंने भारत जाने की बात कही तो सभी का पासपोर्ट कंपनी ने जब्त कर लिया है, साथ ही उन्हें एक कमरे में बंद कर दिया गया है. परेशानी से जूझते मजदूरों ने भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मदद करने की गुहार लगाई है, अब देखना यह है कि भारत सरकार को इन मजदूरों की आह कब सुनाई पड़ती है.
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