कानपुर: उत्तर प्रदेश के कानपुर के बिल्हौर इंटर कॉलेज में उस समय विवाद उत्पन्न हो गया जब मुस्लिम समुदाय की कुछ छात्राएं अचानक हिजाब पहनकर स्कूल पहुंचीं। स्कूल के एक टीचर ने उन्हें बिना यूनिफॉर्म के क्लास में आने से रोक दिया। जब यह मामला प्रिंसिपल सुधीर यादव के पास पहुंचा, तो उन्होंने छात्राओं को स्कूल ड्रेस में आने के लिए कहा।
इस पर छात्राओं ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि वे हिजाब पहनकर ही स्कूल आएंगी, अन्यथा उनका नाम स्कूल से काट दिया जाए। छात्राओं के इस विरोध के बाद, प्रिंसिपल ने उनके अभिभावकों को स्कूल बुलाया और उन्हें बताया कि स्कूल में हिजाब पहनने की अनुमति नहीं है और सभी छात्राओं को एक ही ड्रेस में स्कूल में प्रवेश करना होगा। प्रिंसिपल सुधीर यादव ने अभिभावकों को समझाया कि नया नियम नहीं बनाया गया है, क्योंकि लड़कियां पहले से ही स्कूल ड्रेस में आ रही थीं।
इसके बाद, अभिभावक इस बात से सहमत हो गए, और जो लड़कियां पहले हिजाब पहनकर आई थीं, वे अब स्कूल ड्रेस में आने लगी हैं। हालांकि, इस मामले को लेकर क्षेत्र की SDM ने कहा है कि उन्हें इस घटना की जानकारी है, लेकिन अभी तक किसी भी पक्ष से कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। हालाँकि इस मामले में एक नई बहस ने भी जन्म ले लिया है, सोशल मीडिया पर कुछ लोग इस घटना पर कह रहे हैं कि, यही लोग थे, जो अपनी दुकानों पर नाम लिखने का विरोध कर रहे थे और कह रहे थे कि ये भेदभाव पैदा करेगा, अब वही लोग स्कूल में हिजाब की जिद कर रहे हैं, क्या इससे भेदभाव नहीं होगा ? क्योंकि पहचान तो इससे भी उजागर होगी। बता दें कि, फिलहाल ये मामला सुप्रीम कोर्ट में है, जहाँ ये तय किया जा रहा है कि स्कूल/कॉलेज में हिजाब/बुर्का की अनुमति दी जाए, या बाकी बच्चों की तरह यूनिफार्म को तरजीह दी जाए ?
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