अहमदाबाद: गुजरात के सूरत में पुलिस ने फर्जी डॉक्टरों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए 13 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनके पास से फर्जी डिग्रियां और सर्टिफिकेट बरामद किए गए हैं। इस रैकेट को चलाने वाला मुख्य आरोपी रशेष गुजराथी और उसके दो सहयोगी भी पुलिस की गिरफ्त में हैं। पुलिस ने जांच के दौरान पाया कि रशेष गुजराथी 2002 से फर्जी डिग्री बेचने का गोरखधंधा चला रहा था। वह 75,000 रुपये में इलेक्ट्रो होम्योपैथिक (BEMS) की फर्जी डिग्री, मार्कशीट, और रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट बनाकर देता था। ग्राहकों को यह आश्वासन दिया जाता था कि अगर क्लिनिक या हॉस्पिटल चलाने में कोई दिक्कत आएगी, तो संस्थान की ओर से मदद मिलेगी।
सूरत के पांडेसरा थाना पुलिस ने अलग-अलग इलाकों में छापेमारी करते हुए कविता क्लिनिक, श्रेयान क्लिनिक, और प्रिंस क्लिनिक से जुड़े तीन फर्जी डॉक्टरों को गिरफ्तार किया। इनके पास से बड़ी मात्रा में इलेक्ट्रो होम्योपैथिक और एलोपैथिक दवाएं, इंजेक्शन, और अन्य सामग्री बरामद की गई। इन डॉक्टरों की पूछताछ से मिली जानकारी के आधार पर पुलिस ने मुख्य आरोपी रशेष गुजराथी के घर छापा मारा। वहां से पुलिस को बड़ी संख्या में फर्जी डिग्रियां, रजिस्ट्रेशन फॉर्म, और अन्य दस्तावेज मिले। रशेष गुजराथी ने गोविंद प्रभाव आरोग्य संकुल नामक ट्रस्ट के तहत एक कॉलेज शुरू किया था। उसने अनुभव किया कि इलेक्ट्रो होम्योपैथिक की पढ़ाई करने वाले कम हैं, इसलिए उसने डिग्री बेचने का धंधा शुरू किया। गुजराथी ने डॉक्टर बीके रावत के साथ मिलकर फर्जी सर्टिफिकेट तैयार किए, जिन पर अच्छे डिजाइन और सरकारी स्टिकर लगाए जाते थे।
इसके अलावा, एक वेबसाइट भी बनाई गई थी, जिससे फर्जी डिग्री असली लगती थी। यह रैकेट 20 से अधिक सालों से चल रहा था और इस दौरान 1,200 से ज्यादा फर्जी डिग्रियां बेची जा चुकी थीं। सूरत पुलिस के डीसीपी विजय सिंह गुर्जर ने बताया कि फर्जी डिग्रियों का इस्तेमाल कर ये लोग क्लिनिक और हॉस्पिटल चला रहे थे, जिससे मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ हो रहा था। पुलिस ने अब तक 13 फर्जी डॉक्टरों को गिरफ्तार किया है और इस रैकेट से जुड़े अन्य लोगों की तलाश जारी है। यह कार्रवाई स्वास्थ्य विभाग की टीम के सहयोग से की गई और फर्जी डॉक्टरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया गया है।