11 जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेनों में हुए सीरियल धमाकों के बाद 13 जुलाई 2011 को हुए तीन बम ब्लास्ट्स ने मुंबई ही नहीं, बल्कि पूरे भारत को झकझोर कर रख दिया था। 13 जुलाई 2011 को मुंबई में हुए बम ब्लास्ट्स इंडियन मुजाहिद्दीन ने, मुंबई के ही 26/11 आतंकी हमलों के आरोपित अजमल कसाब के जन्मदिन को यादगार बनाने के लिए किए थे। 13 जुलाई को मुंबई में बम धमाके कराने की पुरी साजिश इंडियन मुजाहिद्दीन के आका यासीन भटकल का था। मुंबई के व्यस्ततम इलाकों में 10-15 मिनट के अंतराल में 3 बम धमाके किए गए थे। उस दिन बुधवार था और शाम का वक़्त था। कभी न सोने वाली मुंबई उस शाम भी हंस-खेल थी, जैसे वो हर दिन करती थी। कर्मचारी काम करके अपने घरों को वापस आ रहे थे। महिलाएँ अपने बच्चों को लेकर घूमने के लिए निकली थीं।
किन्तु 13 जुलाई 2011 को शायद मायानगरी को यह अंदाजा नहीं था कि उसके सामने एक ऐसा पल आने वाला है, जो उसे जीवन भर का जख्म दे जाएगा। पहला ब्लास्ट दक्षिणी मुंबई में हुआ, शाम 06:54 बजे। यह विस्फोट झावेरी बाजार की खाऊ गली में एक बाइक में प्लांट किए गए बम से हुआ। पहले तो कोई कुछ समझ ही नहीं पाया। लोगों की चहल-पहल, भगदड़ में बदल गई। चारों तरफ केवल चीखें ही सुनाई दे रही थीं। इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, एक मिनट बाद ही ओपेरा हाउस इलाके में प्रसाद चैंबर और पंचरत्न बिल्डिंग के बाहर एक टिफिन बॉक्स में रखे गए बम से भीषण विस्फोट हो गया। ओपेरा हाउस का यह क्षेत्र मुंबई के व्यस्ततम इलाकों में से एक है। यहाँ एक समय में सैकड़ों की तादाद में लोगों की आवाजाही रहती है। जब दूसरा ब्लास्ट हुआ, तो मुंबई के लोगों को यह आशंका हो गई थी कि मुंबई एक बार फिर आतंकियों के निशाने पर है। इसके बाद तीसरा ब्लास्ट 07:05 बजे दादर के कबूतर खाना इलाके के पास बस स्टैंड में एक बिजली के खंभे पर लटकाए गए बम के चलते हुआ। हालाँकि, मुंबई पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए दो जिंदा बम ग्रांट रोड सांताक्रूज से बरामद कर लिए थे।
बताया जाता है कि ये बम ब्लास्ट, जिनमें IED का इस्तेमाल किया गया था, मुंबई में पहले हुए धमाकों से अधिक ताकतवर थे। जिन तीन स्थानों पर ये धमाके हुए, वहाँ की जमीनें हिल गई थीं। इमारतों के काँच टूट गए थे। धमाके के सीधे संपर्क में आए लोगों के शरीर के चीथड़े कई मीटर तक बिखरे पड़े थे, चारों तरफ केवल खून और शवों के चीथड़े पड़े थे। मुंबई एक बार फिर अपने लोगों की लाशों को गिन रही थी। रक्तरंजित क्षत-विक्षत शव इंतज़ार कर रहे थे कि कब उन्हें समेटा जाएगा और उनके अपनों को हवाले किया जाएगा। खून से लथपथ जख्मी लोग बेसुध पड़े हुए थे। इन ब्लास्ट में 31 लोगों को अपनी जान गँवानी पड़ी थी, वहीं तक़रीबन 500 लोग गंभीर रूप से जख्मी हो गए थे। बता दें कि 26 नवंबर 2008 को मायानगरी में हुए क्रूरतम आतंकी हमले के आरोपित अजमल आमिर कसाब का जन्मदिन 13 जुलाई को ही था। उस वक़्त कसाब को फाँसी की सजा हो चुकी थी। 13 जुलाई 2011 को मुंबई के ये ब्लास्ट कसाब जन्मदिन की याद में ही कराए गए थे। इंडियन मुजाहिद्दीन के सरगना यासीन भटकल ने कहा था कि उसे इन ब्लास्ट पर गर्व है। इन बम धमाकों की पूरी योजना यासीन भटकल ने ही की थी। इसके बाद दिल्ली, बेंगलुरु और शेष महानगरों में भी हाई अलर्ट जारी कर दिया गया था। इन ब्लास्ट के बाद कई लोगों से पूछताछ की गई। ब्लास्ट की जाँच का जिम्मा ATS को सौंपा गया था।
जाँच के दौरान 18 प्रदेशों में सुराग की तलाश की गई थी। ब्लास्ट के आरोपित यासीन भटकल को एक अंडरकवर ऑपरेशन के बाद नेपाल बॉर्डर से 28 अगस्त 2013 को अरेस्ट कर लिया गया था, जिसे बाद उसे फाँसी की सजा सुनाई गई थी। बता दें कि इसके पहले 11 जुलाई 2006 को मुंबई की जीवनरेखा कहे जाने वाली लोकल ट्रेन को निशाना बनाकर सीरियल बम धमाके किए गए थे। खार और बांद्रा रोड स्टेशन में 7 मिनट के दौरान 7 ब्लास्ट हुए थे। इन धमाकों में 189 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी जबकि तक़रीबन 900 लोग जख्मी हो गए थे। इससे पहले भी 1993, 2002, 2003 में भी मुंबई लगातार बम धमाकों से दहलती रही थी।
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