कोलकाता: पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव में बीते लगभग 10 दिनों से जारी हिंसा की आंच अब अन्य राज्यों में भी पहुँचने लगी है। वहीं, 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव पहले भाजपा चुनावी हिंसा को लेकर अदालत पहुँच गई है। नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने हिंसा को लेकर कोलकाता उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर इसकी CBI जांच की मांग की है, वहीं दूसरी तरफ, हिंसा के शिकार हुए 133 लोग बंगाल से पलायन कर असम पहुंचे हैं, इनमे से अधिकतर भाजपा-कांग्रेस और लेफ्ट के कार्यकर्ता हैं। असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्व सरमा ने उन्हें पनाह दी है। दूसरी तरफ, दिल्ली में भाजपा नेता संबित पात्रा ने हिंसा के लिए ममता बनर्जी सरकार पर निशाना साधा है।
Yesterday, 133 individuals who feared for their lives due to violence in the panchayat election in West Bengal sought refuge in Dhubri District of Assam. We have provided them with shelter in a relief camp, as well as food and medical assistance.
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) July 11, 2023
बता दें कि राज्य में चुनावी हिंसा को लेकर भाजपा की 4 सदस्यीय फैक्ट फाइंडिंग टीम बुधवार (12 जुलाई) को बंगाल आने वाली है। यह टीम हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा करेगी और भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा को रिपोर्ट देगी। वहीं, पंचायत चुनाव के बाद राज्य में आज मतगणना हो रही है। मतगणना के दौरान भी राज्य के विभिन्न मतगणना केंद्रों से हिंसा की खबरें सामने आ रही हैं। इस बीच, असम के सीएम हेमंत बिस्व सरमा ने आज ट्वीट करते हुए लिखा कि 'कल, पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव में हिंसा के चलते अपनी जान के डर से 133 लोगों ने असम के धुबरी जिले में शरण मांगी। उन्हें भोजन और आश्रय़ दिया गया है।'
बता दें कि इसके पहले विधानसभा चुनाव के दौरान भी हिंसा के शिकार हुए हज़ारों लोगों ने असम में जाकर शरण ली थी, जिसमे अधिकतर भाजपा कार्यकर्ता थे। इसे लेकर राज्य की सियासत में काफी हंगामा मचा था। यहाँ तक कि, सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दाखिल हुई थी कि, बंगाल चुनाव के दौरान 1 लाख लोगों ने पलायन किया है। रामनवमी पर बंगाल में हुई हिंसा और शोभायात्रा पर हुए हमलों पर केंद्र की फैक्ट फाइंडिंग टीम बंगाल पहुंची थी, लेकिन उन्हें पीड़ितों से मिलने ही नहीं दिया गया। जिसके बाद कोलकाता हाई कोर्ट ने NIA को जांच सौंपी थी, लेकिन NIA ने अदालत को बताया था कि, बंगाल सरकार और पुलिस उन्हें हिंसा से संबंधित दस्तावेज और जानकारी ही नहीं दे रही है, जिससे जांच अटकी हुई है। इस तरह ये मामला भी ठंडे बास्ते में चला गया था, हालाँकि हाई कोर्ट ने खुद यह स्वीकार किया था कि, शोभायात्रा पर हमला एक सुनियोजित साजिश थी और ईंट-पत्थर पहले ही छतों पर जमा कर लिए गए थे।
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