नई दिल्ली: 15 साल से अधिक आयु की मुस्लिम लड़की अपनी पसंद से किसी भी शख्स के साथ विवाह कर सकती है और उसका विवाह वैध माना जाएगा। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने एक मामले की सुनवाई करते हुए शुक्रवार (28 अक्टूबर) को यह फैसला सुनाया है। इसके साथ ही कोर्ट ने 16 वर्षीय एक लड़की को अपने पति के साथ रहने की अनुमति दे दी है। बता दें कि, कानून के मुताबिक, भारत में 18 वर्ष के कम उम्र में लड़की की शादी करना अपराध है, ऐसा करने पर लड़की के अभिभावकों को जेल भी हो सकती है। लेकिन केवल मुस्लिमों को इसमें छूट है।
न्यायमूर्ति विकास बहल की खंडपीठ ने जावेद नाम के शख्स की एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें उसकी 16 साल की पत्नी को उसके साथ रहने की इजाजत देने की अपील की गई थी। अभी लड़की को हरियाणा के पंचकूला में एक बाल गृह में रखा गया है। याचिकाकर्ता ने कहा था कि उसकी शादी के वक़्त उसकी पत्नी की आयु 16 साल से ज्यादा थी। यह विवाह उनकी मर्जी से और बगैर किसी दबाव के हुई थी। याचिकाकर्ता ने अपने वकील के जरिए कहा था कि दोनों मुस्लिम हैं और उन्होंने 27 जुलाई को यहां मनी माजरा की एक मस्जिद में निकाह किया था।
याचिकाकर्ता के वकील ने यूनुस खान बनाम हरियाणा राज्य मामले में उच्च न्यायालय की समन्वय पीठ के फैसले पर भरोसा करते हुए दलील दी कि लड़की को याचिकाकर्ता के साथ रहने की इजाजत दी जानी चाहिए। हालांकि, राज्य के वकील ने याचिका का विरोध किया और कहा कि वह नाबालिग है, इसलिए उसे आशियाना होम में रखा जा रहा है। राज्य के वकील ने याचिका खारिज करने की अपील की थी।
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