इस्तांबुल: इस्लामी मुल्क तुर्की की राजधानी इस्तांबुल में रविवार (13 नवंबर) को ब्लास्ट होने की वजह से कम से कम छह लोगों की जान चली गई, जबकि 81 लोग घायल हो गए। विस्फोट के कारणों का अभी तक पता नहीं चल सका है। वहीं, अभी तक किसी आतंकी संगठन ने इस विस्फोट की जिम्मेदारी नहीं ली है। वहीं, मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, हमलावर ने कथित तौर पर नागरिकों से भरी सड़क के बीच में विस्फोटक से भरा एक बैग गिरा दिया और उसके जाने के कुछ मिनट बाद ही ब्लास्ट हो गया।
???????? — NEW FOOTAGE: CCTV video shows the moment of the explosion at Taksim square in Istanbul, Turkey. It seems the explosion was caused by a bag left on a bench. pic.twitter.com/EIW4oeNuhw
— Belaaz News (@TheBelaaz) November 13, 2022
रिपोर्ट के अनुसार, तुर्की के किसी बड़े शहर में ऐसा ब्लास्ट कई वर्षों के बाद हुआ है। हालांकि, तुर्की में ऐसे धमाके, बीते कई वर्षों से निरंतर हो रहे हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि, तुर्की में 2015 और 2017 के दौरान आतंकी संगठन ISIS और प्रतिबंधित कुर्द समूहों ने कई घातक बम ब्लास्ट किए हैं। 2015 से अब तक कुल 8 वर्षों में तुर्की में 16 ब्लास्ट हो चुके हैं। इस विस्फोटों में 400 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, वहीं, लगभग 1000 लोग हुए जख्मी हुए हैं।
इस ब्लास्ट को लेकर, तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगन ने कहा है कि मुल्क के खिलाफ आतंकवाद का इस्तेमाल करने वाले नहीं बचेंगे। उन्होंने एक प्रेस वार्ता में कहा कि इस ब्लास्ट को अंजाम देने वाले अपराधी जिस सज़ा के हक़दार हैं, वो उन्हें मिलेगी। उन्होंने जानकारी दी कि इस ‘देशद्रोही हमले’ के पीछे के तत्वों को बेनकाब करने के लिए एजेंसियाँ काम कर रही हैं। एक चश्मदीद ने बताया है कि ब्लास्ट के बाद लोग स्तब्ध रह गए और मौके पर भगदड़ मच गई।
बता दें कि इस्लामी मुल्क तुर्की अपने भारत विरोध के लिए कुख्यात है। हाल ही में भारत में एक बड़े नेता की हत्या करने के लिए जिस ISIS के आतंकी को रूस में पकड़ा गया था, उसे तुर्की में ही आतंक का प्रशिक्षण मिला था। यही नहीं, कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के मुद्दे पर भी तुर्की ने पाकिस्तान की बातों का समर्थन किया था।
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