16 July : जानें कैसे मिलता है ग्रहण के दौरान शुभ और अशुभ फल

16 July : जानें कैसे मिलता है ग्रहण के दौरान शुभ और अशुभ फल
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16 जुलाई 2019 को खण्डग्रास चंद्रग्रहण है. ग्रहण में काफी नियम मानें जाते हैं जिन्हें लोग अपनाते भी हैं. अतः नियम एवं संयम के साथ स्नान जप, तप, और हवन यज्ञ के द्वारा बाधाओं की निवृत्ति एवं सुखों की प्राप्ति के लिए अनुष्ठान करना चाहिए. ग्रहण के समय किए गए जप, यज्ञ, दान आदि का सामान्य की अपेक्षा बहुत अधिक महत्व वर्णित है. इस दौरान आपको क्या करना चाहिए और क्या नहीं इसी के बारे में आपको जानकरी देने जा रहे हैं. 

ग्रहण के समय स्त्री प्रसंग से नर-नारी दोनों की नेत्र ज्योति क्षीण हो जाती है. अनेक बार अंधे होने का भी भय हो जाता है. इस प्रकार ग्रहण का प्रभाव तर्क एवं परीक्षण से भी सिद्ध है. ग्रहण काल में मन माने आचरण से मानसिक अव्यवस्था और बुद्धि विकार तो होता ही है साथ ही शारीरिक स्वास्थ्य की भी बड़ी हानि होती है. इस संबंध में सबको सावधान रहना चाहिए साथ ही कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए. वहीं ग्रहण आरंभ के 9 घंटे पहले से ग्रहण का सूतक लगेगा. ऐसे में बालक, अशक्त आदि पथ्य आहार शाम 5 बजे तक आवश्यकता होने पर ले सकते हैं.

ग्रहण के समय मंत्र दीक्षा का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त माना जाता है, क्योंकि इस समय मनकारक चंद्र, आत्मकारक सूर्य, पंचतत्वीय शरीर कारक पृथ्वी तीनों एक ही तल पर एक ही लय में होते हैं. जो ब्राह्मंड में सो पिण्ड में सिद्धांत अनुसार ग्रहण का समय ध्यान में लगाने से इष्ट मंत्र जप करने से सफलता व सिद्धि शीघ्र मिलती है. ग्रहण के समय भोजन आदि करने से अनेक रोग होते हैं. इसीलिए आहार आदि अनेक कार्य वर्जित हैं. उस समय जो घड़े में भरा जल या भोजन रखा हो, वह भी फिर उपयोग करने योग्य नहीं होता.

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