CBI ने स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के साथ 166 करोड़ रुपये की हेराफेरी के केस में हैदराबाद स्थित चाडलवडा इंफ्राटेक लिमिटेड तथा उसके मेनेजिंग डायरेक्टर के विरुद्ध केस दर्ज किया है। अफसरों ने जानकारी दी कि कंपनी बिजली क्षेत्र की ढांचागत सुविधाओं के इलाके में काम करती है। वही यह ट्रांसमिशन, वितरण तथा सब-स्टेशनों के निर्माण काम करती है तथा उसने असम, बिहार, छत्तीसगढ़, कर्नाटक तथा महाराष्ट्र में कई प्रोजेक्ट पर काम किया है।
वही ऑफिसर्स ने बताया कि आरम्भ में कंपनी ने 25 करोड़ रुपये के ठेकों में हिस्सा लेना आरम्भ किया तथा आहिस्ता-आहिस्ता उसे विभिन्न राज्य विद्युत बोर्डों से ऑर्डर प्राप्त होने लगे। साथ ही उन्होंने बताया कि कंपनी स्टेट बैंक के साथ 2006 से बिज़नेस कर रही है तथा आरम्भ में उसे सात करोड़ रुपये की कर्ज सीमा दी गई जो कि चार वर्ष के अंतराल में बढ़कर 243 करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है। उन्होंने बताया कि जनवरी 2011 के पश्चात् से कंपनी के खातों में अनियमिततायें होने लगी तथा आखिरकार 15 अप्रैल 2011 को कंपनी के अकॉउंट को गैर- निष्पादित संपत्ति (एनपीए) घोषित कर दिया गया।
साथ ही स्टेट बैंक ने अपनी कम्प्लेन में यह आरोप लगाया है जो कि अब सीबीआई की प्राथमिक सूचना रिपोर्ट का भाग है। स्टेट बैंक का कहना है कि कंपनी के फारेंसिंग ऑडिट में पता चला है कि उसने 6.5 करोड़ रुपये ऐसी कंपनियों के हस्तांतरित किए जिनके साथ उसका कोई व्यवसायी संबंध नहीं था। इसमें कहा गया है कि कंपनी ने कथित रूप से उन व्यक्तियों को यह पैसा दिया जिन्होंने उसे बैंक से कर्ज लेने में गारंटी सुविधा उपलब्ध कराई। वही अब मामले की जाँच की जाँच की जा रही है।
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