इंदौर : इंदौर के एमवाय हॉस्पिटल में 24 घंटे में 17 मरीजों की मौत होने का मामले से हड़कंप मच गया है. इनमें से 11 मौतें 12 घंटों में और सात मरीजाें ने गुरुवार सुबह 4 से 4:30 बजे के बीच सिर्फ आधे घंटे में दम तोड़ दिया. इनमें से छह वेंटिलेटर पर थे. इन माैतों को लेकर अस्पताल प्रशासन पर सवाल उठ रहे हैं, लेकिन अस्पताल प्रशासन इन मौतों को सामान्य घटना मान रहा है.
इस घटना के बारे में सूत्रों का कहना है कि रात तीन से चार बजे के बीच ऑक्सीजन सप्लाई 15 मिनट के लिए बंद हुई थी. इसी बीच इन सात मरीजों की मौत हुई.दूसरी चौकाने वाली बात यह है कि ऑक्सीजन सप्लाई के लिए 24 घंटे सिर्फ एक व्यक्ति की ड्यूटी रहती है. यदि वह कार्यवश कहीं चला जाए या रात में सो जाए और इस बीच ऑक्सीजन खत्म हो जाए तो सप्लाई रुकने से इंकार नहीं किया जा सकता है. जबकि अस्पताल प्रशासन और कमिश्नर ने इन्हें सामान्य मौत बताया है. उनका तर्क है कि सेंट्रल ऑक्सीजन सप्लाई 350 बेड पर होती है. सप्लाई रुकती तो बाकी मरीजों पर भी इसका असर होता.अधिकारियों कि अनुसार यहां रोज औसत 10-15 मौतें होती हैं.
बता दें कि इस घटना के बाद से ऑक्सीजन सप्लाई की व्यवस्था को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे है.मरीजों का कहना है कि देर रात तीन से चार बजे के बीच ऑक्सीजन सप्लाई पर असर हुआ था. वेंटिलेटर पर बीप की आवाज आने लगी थी. जबकि एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. शरद थोरा के अनुसार तीन बच्चों की एसएनसीयू में मौत हुई थी, लेकिन उनमें से एक को ही वेंटिलेटर पर रखा गया था. वह भी सीरियस प्री-मेच्योर था. बाकी जितनी मौतें हुईं, वो सभी नॉर्मल हैं. ऑक्सीजन सप्लाई के कारण ऐसा नहीं हुआ है. जबकि कमिश्नर संजय दुबे का कहना है कि जहां-जहां मौत की सूचना मिली थी, उन सभी वार्डों की जांच की है. ऑक्सीजन सप्लाई रुकने जैसी कोई घटना नहीं हुई है.
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