तेहरान: ईरान में नैतिक पुलिस की पिटाई से हुई 22 वर्षीय महसा अमीनी (Mahsa Amini) की मौत के बाद से पूरे देश से कट्टरपंथ के विरोध में आवाज़ उठ रही हैं। हिजाब का विरोध कर रही मुस्लिम महिलाओं ने सरकार को घुटनों पर ला दिया है। नॉर्वे स्थित ईरान ह्यूमन राइट्स के अनुसार, सरकार विरोधी इन प्रदर्शनों में अब तक 185 लोगों की जान जा चुकी है, जिनमें 19 बच्चे भी शामिल हैं। मृतकों की सबसे अधिक तादाद सिस्तान और बलूचिस्तान प्रांत में है।
उल्लेखनीय है कि 16 सितंबर को अमीनी की मौत के अगले दिन उनके जनाजे से शुरू हुआ सरकार विरोधी प्रदर्शन ईरान सरकार के लिए बड़ी मुसीबत बन गया है। सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारी ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई के सत्ता से हटने की मांग कर रहे हैं। वहीं, सरकार ने इन प्रदर्शनों को अमेरिका समेत ईरान के दुश्मनों की साजिश बताया है। सरकार का कहना है कि इन प्रदर्शनों में 20 सुरक्षाबलों की भी जान गई है।
सोशल मीडिया पर शेयर किए गए वीडियो में देखा जा सकता है कि स्कूल और कॉलेजों की छात्राओं ने अब इन प्रदर्शनों की कमान संभाल ली हैं। आंसू गैस के गोलों के इस्तेमाल के बाद भी प्रदर्शनकारी मोर्चा संभाले हुए हैं। मानवाधिकार समूहों का कहना है कि कई इलाकों में सुरक्षाबल प्रदर्शनकारियों पर गोला बारूद का भी उपयोग कर रहे है। हालांकि, ईरान सरकार ने इससे इनकार किया है।
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