जानिये क्या था 1984 सिख विरोधी दंगा जिस पर आज हो रही है इतनी राजनीति

जानिये क्या था 1984 सिख विरोधी दंगा जिस पर आज हो रही है इतनी राजनीति
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नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने हाल ही में 1984 के सिख विरोधी दंगों को लेकर एक बयान दिया था। इस बयान में राहुल ने सिख दंगो को याद करते हुए कहा था कि यह एक दुखद त्रासदी है लेकिन इन दंगो में कांग्रेस पार्टी की किसी भी तरह की भूमिका नहीं थी। राहुल के इस बयान के बाद इस मुद्दे पर एक बार फिर राजनीति गरमाना शुरू हो गई है और कई विपक्षी नेताओ ने राहुल गाँधी के इस बयान को झूठा करार देते हुए उनका विरोध किया है। 

लेकिन क्या आप जानते है कि सिख दंगा आखिर है क्या चीज ? अगर नहीं तो चिंता मत कीजिये क्योकि हम आपके लिए इस मामले से जुडी हर एक जानकारी। 

क्या है 1984 सिख विरोधी दंगा ?
भारत में सन 1984 में भारतीय सिखों के खिलाफ भयानक दंगे भड़के थे। इसी दंगे को 1984 सिख विरोधी दंगा के नाम से जाना जाता है। इन दंगों में 3000 से ज्यादा लोगों की मौत हो गयी थी, जिसमें से सबसे अधिक यानी 2000 लोग दिल्ली में मारे गये थे। 

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क्या थी दंगे की वजह ?

1984 सिख विरोधी दंगे के पीछे मुख्य कारण था तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या। दरअसल इंदिरा गांधी की हत्या उन्हीं के अंगरक्षकों ने की थी जो  सिख थे। इस हत्या के बाद पूरे हिन्दुस्तान में सिखों के खिलाफ हिंसा भड़क गयी थी। इस हिंसा की आग सबसे ज्यादा दिल्ली  में भड़की थी जहा  2000 से ज्यादा लोग मारे गये थे। 

तब भी हुई थी राजनीति 


 इन दंगो को लेकर उस वक्त भी काफी राजनीति हुई थी और सीबीआई ने कहा था कि ये दंगे राजीव गांधी के नेतृ्त्व में कांग्रेस सरकार और दिल्ली पुलिस ने मिल कर कराये हैं। इस दौरान पीएम राजीव गांधी के एक बयान पर भी बहुत हंगामा हुआ था जिसमें उन्होंने कहा था कि जब एक बड़ा पेड़ गिरता है, तब पृथ्वी भी हिलती है। 

 

क्यों किया गया था इंदिरा गांधी का क़त्ल ?


दरअसल साल 1984  में हजारों सिख पंजाब के स्वर्ण मंदिर में सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के लिए एकत्रित हुए थे। उस वक्त के चस्मदीदों के मुताबिक इस दौरान सीखो के पास हथियार भी थे। उस वक्त की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को शक था कि इस सभा में सिख सरकार विरोधी कोई योजना बना रहे है इसलिए उन्होंने 1984 में  भारतीय सेना को स्वर्ण मंदिर पर कब्ज़ा करने का आदेश दिया था और सेना से कहा था कि मंदिर के अंदर घुसे सभी विद्रोहियों को खत्म किया जाये क्योंकि स्वर्ण मंदिर पर हथियार बंध सिख अलगाववादियों ने कब्जा कर लिया था। इस ऑपरेशन को ऑपरेशन ब्लू स्टार का नाम दिया गया था। इस हमले के बाद से पूरा सिख समुदाय इंदिरा गांधी की सरकार के खीलाफ हो गया था और 1985 में इंदिरा गांधी के सिख अंगरक्षकों ने उनकी हत्या कर दी।

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क्या थी सिख अलगाववादियों की मांग?

दरअसल सिख समुदाय का एक बड़ा हिस्सा यह मांग कर रहा था की 'खालिस्तान' नाम का एक अलग देश बनाया जाए, जहां केवल सिख और सरदार की कौम ही रहने वाली थी। इस मांग का सरकार ने कड़ा विरोध किया था और इसी सिलसिले में सरकार ने ऑपरेशन ब्लू स्टार शुरू कर दिया था।

 

तोपें चलाने तक के दिये थे निर्देश 
ऑपरेशन ब्लू स्टार में अलगाववादी सीखो को खत्म करने के लिये इंदिरा गांधी ने भारतीय सेना को जरुरत पड़ने पर तोपों का इस्तेमाल करने के भी आदेश दे दिए थे।  इस दौरान भारतीय सेना ने सात विजयंता टैंकों का इस्तेमाल करते हुए सिखों के हरमंदिर परिसर पर आक्रमण किया था।


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