वाशिंगटन. अमेरिका में 2 भारतीयों को कोर्ट ने एच-1 बी वीज़ा धोखाधड़ी का आरोपी पाया है. यदि दोनों पर आरोप साबित हो गया तो कोर्ट उन्हें 20 वर्ष की जेल या फिर 1.6 करोड़ रुपए जुर्माना या फिर दोनों की सजा सुना सकती है. एक न्यूज एजेंसी के अनुसार, 46 वर्षीय जयावेल मुरुगन और 40 वर्षीय सैयद नवाज ने भारतीय टेक्नोलॉजी प्रोफेशनल्स को एच-1 बी वीज़ा मुहैया कराया.
मुरुगन फ्रीमॉन्ट की डायनासॉफ्ट सिनर्जी में चीफ एग्जीक्यूटिव अफसर है. फेडरल प्रॉसिक्यूटर का कहना है कि मुरुगन और नवाज ने वीजा दिलाने के लिए गलत दस्तावेजो का उपयोग किया है. कोर्ट में पेश किए गई दस्तावेजो के अनुसार मुरुगन और नवाज ने 2010-2016 तक भारतीय प्रोफेशनल्स को स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी, सिस्को और ब्रोकेड में नौकरी दिलवाई. ज्ञात है कि डायनासॉफ्ट कैलिफोर्निया बेस्ड कंपनी है. कंपनी का ऑफिस चेन्नई में भी है. एच-1 बी वीज़ा एक नॉन-इमिग्रेंट वीज़ा है. एच-1 बी वीजा के तहत टेक्नोलॉजी कंपनियां प्रत्येक वर्ष हजारों कर्मचारियों की भर्ती करती हैं.
अमेरिका प्रत्येक वर्ष 85 हजार लोगो को एच-1 बी वीज़ा देता है. इनमे से लगभग 20 हजार अमेरिकी यूनिवर्सिटीज में मास्टर्स डिग्री करने वाले स्टूडेंट्स को जारी किए जाते हैं.एच-1 बी वीजा क्वालिफाइड प्रोफेशनल्स को दिया जाता है, जबकि एल 1 वीजा किसी कंपनी के कर्मचारी के अमेरिका ट्रांसफर होने पर दिया जाता है. इन दोनों ही वीजा का भारतीय कंपनियां अच्छे से उपयोग करती है.
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