पटना : यह एक कटु सत्य है कि बिहार के दो करोड़ स्कूली बच्चों को अर्ध वार्षिक परीक्षा तक किताबें मुहैया नहीं हो पाई फिर भी उनकी अर्ध वार्षिक परीक्षा ले ली गई .सरकार की इस गंभीर लापरवाही पर सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार और हिन्दुस्तान पेपर कॉपरेशन लिमिटेड को भी पक्षकार बनाने के निर्देश दिए हैं.
दरअसल हुआ यूँ कि इस साल मई में स्कूली बच्चों किताब न मिलने को लेकर पटना हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता आनंद कौशल सिंह ने पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. जहाँ पटना हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार और हिन्दुस्तान पेपर कॉपोरेशन लिमिडेट को पक्षकार बनाने से इंकार कर दिया था.इस पर याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी.सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की खंडपीठ ने संज्ञान लेते हुए पटना हाईकोर्ट को केंद्र सरकार और एचपीसीएल को पक्षकार बनाने का निर्देश दिए.
बता दें कि इस मामले में बिहार सरकार के साथ अन्य भी लापरवाही के लिए जिम्मेदार पाए गए .बिहार के 73 हजार स्कूलों में पढ़ने वाले करीब 2 करोड़ बच्चे बिना किताब के पढ़ाई कर रहें है. विडंबना यह कि इस बीच उनकी अर्धवार्षिक परीक्षा भी ले ली गई.स्कूली बच्चों को किताब उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी बिहार शिक्षा परियोजना की है. उसे हिन्दुस्तान पेपर कॉपोरेशन द्वारा कागज उपलब्ध नहीं कराया गया, इसलिए किताबें नहीं छपी . इस पर इन दोनों पक्षों के अलावा केंद्र को भी पक्षकार बनाने की कोशिश की गई , क्योंकि हिन्दुस्तान पेपर कॉपोरेशन केंद्र सरकार का उपक्रम है.
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