नई दिल्ली: हाल ही में विश्वविद्यालयों के कुलपतियों सहित 200 से अधिक शिक्षाविदों ने बीते रविवार को पीएम मोदी को पत्र लिखकर देश में बिगड़ते अकादमिक माहौल के लिए वामपंथी कार्यकर्ताओं के एक छोटे समूह की गतिविधियों को जिम्मेदार बताया है. वहीं पीएम को लिखे पत्र में कहा गया है, 'हमारा मानना है कि छात्र राजनीति के नाम पर एक विध्वंसकारी धुर वामपंथी एजेंडे को आगे बढ़ाया जा रहा है. जंहा इस बात में जेएनयू से लेकर जामिया तक, एएमयू से लेकर जाधवपुर विश्वविद्यालय तक परिसरों में हुई हाल की घटनाएं हमें वामपंथी कार्यकर्ताओं के छोटे से समूह की शरारत के चलते बदतर होते अकादमिक माहौल के प्रति सावधान करती हैं.'
वहीं इस बात कि जानकारी मिली है कि पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में हरि सिंह गौर, आरपी तिवारी, दक्षिण बिहार केंद्रीय एचसीएस राठौर और सरदार पटेल विश्वविद्यालय के कुलपति शिरीष कुलकर्णी सहित अन्य शामिल हैं. वहीं यह भी कहा जा रहा है कि इसे 'शैक्षणिक संस्थानों में वामपंथी अराजकता के खिलाफ बयान' शीर्षक दिया गया है.
सूत्रों का कहना है कि वामपंथ की ओर झुकाव रखने वाले समूहों को आड़े हाथों लेते हुए कहा गया है कि वामपंथी राजनीति द्वारा थोपे गए सेंसरशिप के चलते जन संवाद आयोजित करना या स्वतंत्र रूप से बोलना मुश्किल हो गया है. वामपंथियों के गढ़ों में हड़ताल, धरना और बंद आम बात हो गई है. वाम विचारधारा के अनुरूप नहीं होने पर लोगों को व्यक्तिगत रूप से निशाना बनाना, सार्वजनिक छींटाकशी और प्रताड़ना बढ़ रही है. इस तरह की राजनीति से सबसे बुरी तरह से गरीब और हाशिए पर मौजूद समुदायों के छात्र प्रभावित हो रहे हैं.
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