नई दिल्ली: सोशल मीडिया दिग्गज फेसबुक, गूगल और ट्विटर ने आम चुनाव 2019 से पहले चुनाव आयोग से कहा है कि वह चुनावी कार्यक्रम के दौरान सभी राजनीतिक विज्ञापनों और प्रचार सामग्री की निगरानी करने, नकली विज्ञापनों को रोक करने और आपत्तिजनक पोस्ट्स को ब्लॉक करने के लिए प्रतिबद्ध है. अब सोशल मीडिया कंपनियां आपत्तिजनक प्रचार सामग्री और विज्ञापनों को स्वेच्छा से अवरुद्ध कर देगी, यहां तक कि आवश्यकतानुसार उन्हें चुनाव आयोग तक भी पहुंचाएंगी. उल्लेखनीय है कि 14 दिन के चुनाव अभियान में से 12 दिन चुनाव प्रचार के लिए मिलेंगे, मतदान से ठीक 48 घंटे पहले चुनाव आयोग द्वारा प्रचार बंद कर दिया जाता है. यह इसलिए किया जाता है ताकि मतदाता अपने विवेक से अपने राजनेता का चुनाव कर सके और इस दौरान कोई भी विज्ञापन उन्हें भड़का न सके.
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इसके साथ ही सोशल मीडिया प्लेटफार्म किसी भी राजनितिक दल, राजनेता और उम्मीदवार के प्रचार के लिए उसका विज्ञापन करने वाले स्पोंसर और उस स्पोंसर द्वारा विज्ञापन के लिए चुकाई गई रकम पर भी नज़र रखेगी. सोशल मीडिया कंपनियों द्वारा नकारात्मक राजनीतिक विज्ञापनों को अवरुद्ध करने की व्यवस्था पूरी तरह से स्वैच्छिक है. फेसबुक, ट्विटर और गूगल ने चुनाव आयोग को आश्वासन दिया है कि वे अपनी वेबसाइटों पर राजनीतिक सामग्री को स्वयं-सेंसर करेंगे और किसी भी प्रकार के नकली, भ्रामक और विवादित प्रचारों के खिलाफ कार्यवाही करेंगे.
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मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओ पी रावत ने बताया कि पार्टियों और उम्मीदवारों द्वारा सोशल मीडिया के इस्तेमाल को फेसबुक, ट्विटर और गूगल द्वारा मॉनिटर किया जाएगा. उन्होंने कहा कि तीन मुख्य सोशल मीडिया कंपनियों के साथ चिनाव आयोग की बातचीत पूरी हो चुकी है और वे अभियान के दौरान सभी राजनीतिक विज्ञापनों की निगरानी करने पर सहमत हुए हैं. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि ये कार्यवाही सोशल मीडिया की ओर से स्वैछिक है, इसमें किसी भी तरह से चुनाव आयोग का दबाव नहीं है. महत्वपूर्ण बात यह है कि ट्विटर, फेसबुक और Google टाइमलाइन पर अपलोड किए गए सभी प्रायोजित राजनीतिक विज्ञापन प्रायोजक के नाम और विज्ञापन के लिए भुगतान की गई राशि के साथ "प्रायोजित" के रूप में घोषित किए जाएंगे. सीईसी रावत ने कहा, "इस तरह, सोशल मीडिया पर राजनीतिक विज्ञापन में पूर्ण पारदर्शिता होगी".
2019 चुनाव में सोशल मीडिया की भूमिका
आपको बता दें कि विशेषज्ञों के अनुसार इस बार के लोकसभा चुनाव में सोसाइल मीडिया की बड़ी भूमिका रहने वाली है. वहीं देश की बड़ी राजनितिक पार्टी कांग्रेस ने तो दावा भी कर दिया है कि उनकी पार्टी से उन्ही उम्मीदवारों को टिकट दिया जाएगा, जिनकी सोशल मीडिया पर अच्छी पकड़ हो. कांग्रेस ने अपनी पार्टी के नेताओं से साफ़-साफ़ कह दिया है कि अगर टिकट चाहिए तो सोशल मीडिया पर फॉलोवर्स की संख्या बढ़ानी होगी. कांग्रेस ने इसके लिए आंकड़े भी निर्धारित कर दिए हैं, कांग्रेस ने कहा है कि टिकट प्राप्त करने के लिए नेताओं के ट्विटर हैंडल पर कम से कम 5,000 फॉलोवर्स, साथ ही फेसबुक अकाउंट पर 15000 लाइक्स होने चाहिए. सूत्रों की मानें तो कांग्रेस ने नेताओं को अपने सोशल मीडिया अकॉउंटस की डिटेल जमा कराने के लिए 15 सितम्बर तक की मोहलत दी है. इससे साफ़ पता चलता है कि सोशल मीडिया आगामी चुनाव पर क्या प्रभाव डाल सकता है, ऐसे में सोशल मीडिया के निगरानी करने वाले कदम को सही ठहराया जा सकता है.
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