नई दिल्ली: दिल्ली-हरियाणा की सीमा पर स्थित सिंघू बॉर्डर पर किसानों के आंदोलनस्थल पर दलित व्यक्ति लखबीर सिंह की निर्ममता से हत्या किए जाने के मामले में पूरे देश के लगभग 21 दलित संगठनों ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने आयोग से हत्या की व्यापक जाँच करने का अनुरोध किया है। हालाँकि, सिख धार्मिक निकायों ने इस मामले को दलित बनाम सिख होने से इनकार किया है, क्योंकि निहंग समूह में दलितों की एक बड़ी तादाद है।
पत्रों में मामले की समयबद्ध जाँच और बर्बरता में संलिप्त तमाम लोगों के लिए सजा की माँग की गई है। आयोग के अध्यक्ष विजय सांपला ने कहा कि सिखों के बीच ग्रन्थ की बेअदबी एक गंभीर जुर्म है, मगर किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने का हक़ नहीं है। सांपला ने आगे कहा कि, 'हमने पहले ही DGP हरियाणा और मुख्य सचिव को इस पर कड़ी कार्रवाई करने के लिए नोटिस भेजा है और फैक्स के जरिए वापसी की रिपोर्ट माँगी है।'
उन्होंने आगे कहा कि जिस स्थान पर आरोपितों ने उसे फाँसी दी, वह किसानों के स्टेज के पास है। वहाँ जो भी घटना होती है उसके लिए आंदोलनकारी किसान ही जिम्मेदार होते हैं। उनकी भूमिका अपराधियों की तरह ही है। सांपला ने कहा कि किसान नेताओं ने इस पूरे मामले से पल्ला झाड़ लिया है। यदि वे (आरोपित) 10 माह से उनके साथ धरना प्रदर्शन कर रहे हैं और उनके साथ रह रहे हैं, तो वे उसी विरोध का हिस्सा हैं।
स्पाइसजेट ने रविवार से तिरुपति और दिल्ली के बीच एक नई सेवा की शुरू
राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने जारी किए नए दिशानिर्देश
दिल्ली में चल रही बीजेपी के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक