नई दिल्ली: वस्तु एवं सेवा कर (GST) मुआवजे को लेकर जारी घमासान में विपक्ष की एकजुटता का दावा खोखला नज़र आ रहा है. 21 राज्यों ने केंद्र की मोदी सरकार द्वारा दिए गए पहले विकल्प यानी 97,000 करोड़ रुपये का कर्ज लेने का प्रस्ताव मंजूर कर लिया है. विपक्षी पार्टियों द्वारा शासित प्रदेशों ने अभी तक केंद्र का कोई प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया है. उल्लेखनीय है कि GST काउंसिल की इस माह हुई 41वीं बैठक में मुआवजे को लेकर केंद्र ने राज्यों के समक्ष दो विकल्प रखे थे. राज्यों से कहा गया था कि वे एक सप्ताह के अंदर अपनी राय दें, किन्तु अभी तक सभी राज्यों ने अपनी सहमति नहीं दी है.
ये है पहला विकल्प:-
पहले विकल्प के अनुसार, राज्यों से यह कहा गया था कि केवल GST के कारण उन्हें अब तक लगभग 97,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है. इसलिए वे इतनी राशि वित्त मंत्रालय के मागदर्शन में मौजूद एक खास सुविधा के तहत कर्ज ले लें. इसके तहत उन्हें उसी प्रकार हर दो महीने पर राशि मिलेगी, जैसा कि अभी तक मुआवजा दिया जाता रहा है.
दूसरा विकल्प:-
दूसरा विकल्प यह है कि राज्य पूरे GST राजस्व नुकसान (जिसमें कोरोना के कारण हुआ आर्थिक नुकसान भी शामिल है) को उधार लें जो कि लगभग 2.35 लाख करोड़ रुपये का होता है. इसके लिए भी रिजर्व बैंक की सहायता से खास विंडो यानी सुविधा की व्यवस्था की जाएगी.
आपको बता दें कि झारखंड, केरल, महाराष्ट्र, दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल ने अभी तक GST काउंसिल के प्रस्तावों पर कोई उत्तर नहीं दिया है. जबकि इनके अलावा लगभग सभी राज्यों ने केंद्र सरकार द्वारा दिए गए पहले विकल्प का चुनाव किया है।
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