वीडियो कॉमनवेल्थ गेम्स: बदलते नाम, बढ़ती लोकप्रियता

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ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में चल रहे 21वें कॉमनवैल्थ गेम्स की शुरुआत आज से 88 साल पहले ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन देशों के बीच सौहार्द और भाईचारा स्थापित करने के लिए की गई थी. एशली कूपर वे प्रथम व्यक्ति थे जिन्होंने सदभावना को प्रोत्साहन देने के लिए एक अखिल ब्रितानी खेल कार्यक्रम आयोजित करने के विचार को प्रस्तुत किया 1930 में पहली बार खेले गए कॉमनवेल्थ गेम्स का बजट इतने सालों के सफर के बाद दस हजार गुना बढ़ चुका है. पहले खेल में जहां सिर्फ 64 लाख रुपए खर्च हुए थे, वहीं 21वें कॉमनवेल्थ गेम्स में करीब 6437 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं. 

शुरू में कॉमनवैल्थ गेम्स, "ब्रिटिश एम्पायर गेम्स" के नाम से अस्तित्व में आया, इसकी शुरुआत 1930 में कनाडा के हेमिल्टन में हुई थी. इसमें शामिल छह खेलों में 11 देशों से कुल 400 से अधिक खिलाड़ियों ने भाग लिया. इसके बाद 1934 में लंदन में आयोजित हुए खेलों में भारत ने भी इन खेलों में भाग लेना आरम्भ किया. अपने पहले ही कॉमनवैल्थ खेल में भारत के लिए राशिद अनवर ने रेसलिंग (वेल्टरवेट, 74 किग्रा) में ब्रॉन्ज जीता. इसके बाद 1958 में स्वतंत्र भारत के रूप में कॉमनवेल्थ गेम्स में पहली बार मेडल (दो गोल्ड, 1 सिल्वर) जीते, रेसलिंग में लीला राम सांगवान और एथलेटिक में फ्लाइंग सिक्ख मिल्खा सिंह ने गोल्ड जीता था, वहीं लक्ष्मीकांत पांडेय ने रेसलिंग में रजत पदक प्राप्त किया था. कनाडा के वेंकुवर में 1954 में आयोजित हुए पाँचवें कॉमनवैल्थ गेम्स से इन खेलों को  "ब्रिटिश इंपायर एंड कॉमनवेल्थ गेम्स" के नाम से जाना जाने लगा था. यह सिलसिला 1966 में जमैका के किंग्सटन आयोजित हुए कॉमनवैल्थ गेम्स तक रहा. इस दौरान इसकी लोकप्रियता भी बढ़ती रही और भाग लेने वाले देशों व खिलाड़ियों की संख्या में भी इजाफा होता रहा.

तीसरी बार इसका नाम परिवर्तन 1970 में हुआ, जब स्काटलैंड के एडिनवर्ग में खेले गए खेलों को "ब्रिटिश कॉमनवेल्थ गेम्स" के नाम से सामने लाया गया. हालांकि यह नाम मात्र 2 कॉमनवेल्थ खेलों तक ही रहा और 1978 में कनाडा के एडमंटन से आयोजित हुए खेल "कॉमनवेल्थ गेम्स" के नाम से प्रारंभ हुए, तब से लेकर अब तक इन खेलों इसी नाम से जाना जाता है, 1950, 1962, 1986 के कॉमनवेल्थ खेलों में भाग ना लेने वाले भारत को 80 साल बाद इन खेलों की मेज़बानी का अवसर मिला और यही भारत के लिए इन खेलों में उसकी सबसे बड़ी सफलता भी लेकर आया. 2010 में जब यह खेल दिल्ली में आयोजित हुए, तब इन खेलों में भारत ने 38 गोल्ड समेत 101 पदक जीते थे. 21वें कॉमनवेल्थ खेलों में भी मुकाबले के पहले ही दिन गुरुराजा ने वेटलिफ्टिंग में रजत पदक जीतकर, भारत के लिए पदकों की गिनती शुरू कर दी है. खिलाड़ियों और तैयारियों को देखते हुए इस बार के कॉमनवेल्थ खेल को भारत के सबसे सफल टूर्नामेंट होने की उमीदें की जा रही है. 

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