आप सभी को बता दें कि कल यानी 22 दिसंबर को मार्गशीर्ष पूर्णिमा यानि अगहन पूर्णिमा है. जी हाँ, यह पूर्णिमा बहुत ख़ास मानी जाती है और इस दिन का महत्व सबसे ख़ास बताया जाता है. कल सभी जगह अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाने वाली है. कहा जाता है मां पार्वती का ही एक रूप अन्नपूर्णा है और माँ अन्नपूर्णा को अन्न की देवी कहा जाता है. ऐसे में शास्त्रों में कहा गया है कि जो व्यक्ति अन्नपूर्णा जयंती पर श्रद्धापूर्वक माँ अन्नपूर्ण की पूजा- उपासना करता है उसको कभी भी अन्न की कमी नहीं होती है.
वहीं पुराणों की मान्यताओं के अनुसार इस दिन रसोई, चूल्हे आदि का पूजन करने से घर में धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती साथ ही मां अन्नपूर्णा की कृपा सदा बनी रहती है. आप सभी को बता दें कि शास्त्रों के अनुसार एक बार जब धरती पर पानी और अन्न समाप्त होने लगा, तब परेशान धरतीवासियों ने भगवान विष्णु और ब्रह्म देव की अराधना करनी शुरू की. वहीं लोगों की परेशानी जान ब्रह्मा और विष्णु ने भगवान शंकर की आराधना कर उन्हें योग मुद्रा से जगाया और सारी बातों से अवगत कराया. इन सबके बाद भगवान शिव धरती पर भ्रमण पर गए और उन्होंने भिक्षु का रूप धारण कर लिया और मां पार्वती ने माता अन्नपूर्णा का.
इसके बाद माता अन्नपूर्णा से भिक्षा मांग कर भोलेनाथ ने धरतीवासियों को अन्न बांटा इस वजह से अन्नपूर्णा की पूजा की जाती है. कहते हैं जिस दिन माता पार्वती ने मां अन्नपूर्ण का रूप धारण किया था वह मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा थी इस कारण से मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाती है और इस दिन दत्तात्रेय जयंती भी मनाए जाने का प्रावधान है. इस दिन घर की रसोई की साफ सफाई करना चाहिए.
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