अलवर: अलवर से लगभग 16 किलोमीटर दूर हाजीपुर डडीकर गांव में रूपराम निर्धन किसान हैं, मगर 6 वर्ष पश्चात् उनकी निर्धनता को चंदन की खुशबू समाप्त कर देगी। मतलब रूपराम के आधा बीघा खेत में 30-30 फीट ऊंचे चंदन के 250 पेड़ खड़े हैं। जो पांच वर्ष पहले बोए थे तथा लगभग 6 से 7 वर्ष में काटकर बेचने लायक हो जाएंगे। तब एक पेड़ के दाम लगभग 1 से डेढ़ लाख रुपए होगी।
वही इससे रूपराम को ढाई से 3 करोड़ रुपए की आय होगी। फिर रूपराम निर्धन नहीं एक मध्यम किसान की कैटेगरी में आ जाएंगे। वैसे आधा बीघा के खेत में किसान एक वर्ष में अधिकांश 20 हजार रुपए कमा सकता है। 10 वर्ष में अधिक से अधिक 2 से ढाई लाख रुपए की आय कर सकता है, मगर चंदन से 100 गुना ज्यादा आय की संभावना है। यह किसी चमत्कार से कम नहीं लग रहा है।
इसके साथ ही रूपराम के बेटे ने कहा कि पिताजी ने लगभग 5 वर्ष पहले चंदन के वृक्ष लगाए थे। जब उनको किसी जानकार शख्स ने सुझाव दिया था कि चंदन के वृक्ष से अच्छी कमाई कर सकते हैं। किस्मत से हाजीपुर डडीकर की भूमि को चंदन रास आ गया। पौधे पांच वर्ष में 30 फीट तक ऊंचे हो चुके हैं। अब अगले लगभग 6 से 7 वर्ष में ये और बड़े व मोटे हो जाएंगे। रूपराम के बेटों को भी अच्छे से खबर है कि चंदन की लकड़ी लगभग 5 से 6 हजार रुपए किलो बिकेगी। इसके अतिरिक्त चंदन के वृक्ष की जड़ से निकलने वाले तेल का दाम भी 70 से 80 हजार रुपए प्रति लीटर बिकता है। इसके अनुसार एक पेड़ से लगभग 1 से डेढ़ लाख रुपए की आय होगी। जबकि उसके खेत में 250 वृक्ष लगे हैं।
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