श्रीनगर: जम्मू कश्मीर में कई नेता, सरकारी कर्मचारी और पुलिस अधिकारी केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के निशाने पर आ गए हैं. इन लोगों पर 25,000 करोड़ रुपये की सरकारी भूमि में घोटाला करने का आरोप है. जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने इस मामले में CBI जांच के आदेश जारी किए हैं. बताया जा रहा है कि यह जम्मू-कश्मीर का सबसे बड़ा जमीन घोटाला हो सकता है. अदालत ने मामले पर टिप्पणी करते हुए इसे शर्मनाक और राष्ट्रीय हित को हानि पहुंचाने वाली हरकत करार दिया है.
प्रधान न्यायधीश गीता मित्तल और न्यायधीश राजेश बिंदल ने इसे लेकर CBI निदेशक को कुछ अहम निर्देश दिए हैं. अदालत ने मामले की जांच के लिए पुलिस अधिक्षक (SP) की ऊपर वाले रैंक के अधिकारियों की टीम नियुक्त करने के लिए कहा है. साथ ही इस मामले में केस दर्ज करके गहन जांच के निर्देश दिए गए हैं. उच्च न्यायालय ने ये आदेश शुक्रवार को दिए थे, किन्तु इसकी कॉपी रविवार को उपलब्ध कराई गई. अदालत ने पहली नजर में सरकारी कर्मचारियों की गलती पाई है. निजी लोगों को बड़े स्तर पर कौड़ियों के भाव में सरकारी जमीन के अतिक्रमण की अनुमति दी गई है.
उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को विवादास्पद रोशनी अधिनियम को 'असंवैधानिक' घोषित कर दिया. नवंबर 2001 में राज्य विधानमंडल द्वारा इसे अधिनियमित किया गया और मार्च 2002 में लागू किया गया था. इसके तहत राज्य में जल विद्युत उत्पादन के लिए धन एकत्रित करने की परिकल्पना की गई थी, जिसमें प्रदेश की भूमि को निजी स्वामित्व में स्थानांतरित करके 25,000 करोड़ रुपये जमा करने की योजना थी.
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