26/11 को 'हिन्दू आतंकवाद' मान रही होती दुनिया, यदि 'तुकाराम ओंबले' न होते

26/11 को 'हिन्दू आतंकवाद' मान रही होती दुनिया, यदि 'तुकाराम ओंबले' न होते
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मुंबई: 26/11 हमला, भारतीयों को मारने के साथ–साथ उन्हें फंसाने की साजिश भी थी। साजिश ये थी कि, भारतीयों के इस कत्लेआम का आरोप हिन्दुस्तानियों पर ही लगे, हम आपस में लड़ते रहें और सियासी दल फर्जी 'हिन्दू आतंकवाद' का नारा देकर अपनी सियासी रोटियां सकें। इसी साजिश के तहत सभी आतंकियों को भारतीय नामों वाला आईडी कार्ड दिए गए थे, यहाँ तक कि उनके हाथों में कलावा भी बांधा गया था। 10 आतंकी समुद्र के रास्ते मुंबई आए थे, जिसमे से 9 मारे गए, 10वां भी वहीं मारा जाता, अगर मुंबई पुलिस के बहादुर तुकाराम ओंबले न होते। लाठी लेकर ही उस आतंकी से भिड़ने वाले बहादुर ओंबले ने 23 गोलियां खाने के बाद भी आतंकी की गर्दन नही छोड़ी। 

उस आतंकी के जिन्दा पकड़ाने के बाद हमें पता चला कि, 26/11 को सैकड़ों भारतीयों की हत्या करने वाला कोई मोहन, लक्ष्मण या हरिप्रसाद नहीं था, बल्कि पाकिस्तान द्वारा भेजा गया इस्लामी आतंकी 'अजमल कसाब' था।  पाकिस्तान की इस साजिश में अप्रत्यक्ष रूप से ही सही, लेकिन कांग्रेस ने पूरा साथ दिया था। कांग्रेस उस समय केंद्र में सरकार चला रही थी और मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे। कांग्रेस के बेहद करीबी माने जाने वाले अज़ीज़ बर्नी ने पाकिस्तान के षड़यंत्र को सच साबित करने के लिए ताबड़तोड़ ’26/11-आरएसएस की साजिश’ नाम से पूरी एक किताब लिख डाली और कांग्रेस के ही दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह, फिल्म निर्माता महेश भट्ट के साथ इसका विमोचन करने पहुंचे और पाकिस्तान को क्लीन चिट दे दी।  यानी जो पाकिस्तान चाह रहा था, वो तो कांग्रेस खुद-ब-खुद कर रही थी। 

मगर, इस पूरी साजिश का पर्दाफाश अजमल कसाब के जिन्दा पकड़े जाने से हो गया। शहीद पुलिस कांस्टेबल तुकाराम ओम्बले ने खुद 23 गोलियां खाने के बाद भी कसाब को जिन्दा पकड़ लिया था, और इसके बाद पूछताछ में परत-दर-परत खुलासे होने लगे। कसाब ने खुद बताया था कि उन्हें पाकिस्तान से भारत में आतंक फ़ैलाने के लिए भेजा गया था। हालांकि, सच सामने आने के बाद अजीज़ बर्नी ने अपनी किताब में मुंबई हमलों का दोष RSS पर मढ़ने के लिए माफ़ी मांग ली थी, लेकिन दिग्विजय सिंह और कांग्रेस ने इसके लिए अभी तक माफ़ी नहीं मांगी है। अगर उस समय तुकाराम ओंबले नहीं होते, तो आतंकवाद का कोई 'धर्म' नहीं होता कहने वाले लोग भी 26/11 हमलों को हिन्दू आतंकवाद कह रहे होते और देश का बहुसंख्यक वर्ग खुद पर ही शर्म कर रहा होता। 

कांग्रेस ने पाकिस्तान पर हमले की अनुमति क्यों नहीं दी ?

यही नहीं पाकिस्तान का षड्यंत्र उजागर होने के बाद भी 26/11 हमले को RSS की साजिश बताने की साजिश में जुटी कांग्रेस ने पड़ोसी मुल्क पर कोई एक्शन नहीं लिया। पूर्व एयरफोर्स चीफ बीएस धनोआ ने अपने एक बयान में बताया था कि,  2008 मुंबई आतंकी हमले के बाद पाकिस्‍तान के आंतकी कैंपों पर हमले का प्रस्‍ताव था। भारतीय वायुसेना ने तत्‍कालीन मनमोहन सिंह सरकार के सामने प्‍लान रखा था, मगर मंजूरी नहीं मिली। पूर्व वायुसेना प्रमुख धनोआ ने कहा था कि, हमें पता था कि पाकिस्‍तान में आतंकी शिविर कहां-कहां पर हैं, हम तैयार थे।  मगर ये एक राजनीतिक फैसला है कि आपको स्‍ट्राइक करना है या नहीं। उन्‍होंने कहा कि 13 दिसंबर 2001 को संसद पर हमले के बाद भी IAF ने पाकिस्‍तान पर एयर स्‍ट्राइक्‍स का प्रस्‍ताव दिया था, लेकिन मंजूरी नहीं मिली।  

ऐसे में ये सवाल उठता है कि आखिर तत्कालीन कांग्रेस सरकार पाकिस्तान के प्रति इतना नर्म रवैया क्यों अपना रही थी। क्या उन्हें पता नहीं था कि देश की आज़ादी के बाद से ही पाकिस्तान कई बार भरत पर हमले कर चुका है और रात-दिन बस भारत को तोड़ने के ही ख्वाब देखता रहता है और उसके लिए साजिशें रचता रहता है। 166 लोगों के बलिदान के बाद भी कांग्रेस सरकार का पाकिस्तान को 'मौन समर्थन' भारतवासियों को सालों तक चुभता रहेगा। 

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