भोपाल: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में बिना रजिस्ट्रेशन बाल सुधार गृह का संचालन करने तथा जेजे एक्ट के उल्लंघन का मामला सामने आया है. बृहस्पतिवार रात बाल संरक्षण आयोग की टीम परवलिया सड़क स्थित आंचल चिल्ड्रन होम्स पहुंची. यहां तहकीकात की गई तो पता चला बाल सुधार गृह चलाने वाली संस्था का रजिस्ट्रेशन ही नहीं है. तत्पश्चात, वहां से 40 बच्चे रेस्क्यू किए गए जो बिना बाल कल्याण समिति की जानकारी के संस्था में रखे गए थे. इस सिलसिले में राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने मुख्य सचिव को एक पत्र भी जारी किया है.
परवलिया थाना क्षेत्र में बिना अनुमति के आंचल चिल्ड्रन होम्स संचालित किया जा रहा था. इसकी लिस्ट में कुल 68 बच्चियां निवास करना दर्ज है मगर निरीक्षण के चलते 41 बच्चियां ही मिलीं. जबकि 26 बच्चियां गायब हैं. जिनका कोई रिकॉर्ड नहीं मिला है. यह खबर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने मुख्य सचिव वीरा राणा को लिखी चिट्ठी में दी है. इस बालगृह में गुजरात, झारखंड, राजस्थान के अलावा सीहोर, रायसेन, छिंदवाड़ा, बालाघाट और विदिशा की बच्चियां मिली हैं.
शुक्रवार को मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के तारासेवनिया में राज्य बाल आयोग अध्यक्ष व सदस्यों के साथ संयुक्त तौर पर एक मिशनरी द्वारा संचालित अवैध बाल गृह का निरीक्षण किया. टीम ने पाया कि यहां मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ ,गुजरात ,राजस्थान, झारखंड के बच्चे नियम विरुद्ध रह रहे हैं. इनमें कुछ अनाथ बच्चे भी सम्मिलित हैं जिन्हें बिना सीडब्ल्यूसी की जानकारी के नहीं रखा जा सकता. यहां की संचालक सरकारी एजेन्सी की भांति चाइल्ड लाइन पार्टनर के रूप में काम कर रही हैं. सरकारी प्रतिनिधि के तौर पर कार्य करते हुए जो बच्चे सड़कों से रेस्क्यू किए उनको बिना सरकार को सूचना दिए बिना लाईसेंस के चलाए जा रहे स्वयं के इस बाल गृह में गुपचुप ढंग से रख कर उनसे ईसाई धर्म की प्रैक्टिस करवाई जा रही है. कर्मचारियों का पुलिस वेरिफिकेशन नहीं कराया गया था.
वही राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष ने मध्यप्रदेश की मुख्य सचिव वीरा राणा को एक चिट्ठी लिखी है. जिसमें उन्होंने बाल सुधार गृह में पंजीकृत बच्चों की संख्या अधिक है मगर कई बच्चियां गायब हैं. मुख्य सचिव को लिखी चिट्ठी में आयोग ने परवलिया सड़क थाना पुलिस द्वारा सहयोग न करने का जिक्र भी किया है. कुछ बिंदुओं पर 7 दिन में जानकारी मांगी है. इसमें बच्चों की आयु, मूल पता, बच्चों को CWC के समक्ष पेश करने के पश्चात् की रिपोर्ट और प्रदेश में संचालित ऐसे सभी बालगृह की जांच रिपोर्ट सम्मिलित है, जो चाइल्ड लाइन चलाने वाली संस्थाएं चला रही हैं.
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