नई दिल्ली : 8 नवम्बर को पीएम मोदी द्वारा की गई नोटबन्दी की घोषणा के बाद सरकार को लग रहा था कि इससे काला धन बर्बाद होगा लेकिन जिस तेजी से बैंकों में पुराने नोट जमा हो रहे हैं उससे लगता है कि अंतिम तिथि 30 दिसंबर के पूर्व अभी और पुराने नोट जमा होंगे. ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या सरकार अनुमान लगाने में फेल हो गई.
गौरतलब है कि केंद्र सरकार का मानना था कि नोटबंदी के बाद करीब 3 लाख करोड़ रुपये का काला धन बैंकों में नहीं आएगा.जबकि सरकारी आंकड़ों के अनुसार शनिवार शाम तक 9.85 लाख करोड़ की कीमत वाले 500 और 1,000 रुपये के बंद हो चुके नोट बैंकों में जमा कराए जा चुके हैं. बता दें कि बैंकों में पुराने नोट जमा कराने की आखिरी तारीख 30 दिसंबर है यानी अभी और बन्द हुए नोट जमा होंगे. तब यह आंकड़ा कहाँ जाएगा यह तो आखिरी तारीख को ही पता चलेगा.
इस बारे में सूत्रों ने बताया कि सरकार का यह अनुमान था कि 14.6 लाख करोड़ का 10 फीसदी बैंकों में जमा नहीं होगा लेकिन जो रकम अब तक जमा हो चुकी और नोट बदलने की अंतिम तिथि अभी बहुत दूर है . ऐसी दशा में सरकार की उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा है. जाहिर है कि भ्रष्टाचारियों ने काले धन को सफेद करने का रास्ता निकाल लिया है.
बता दें कि कालेधन को लेकर सरकार ने भी अपनी दृष्टि में परिवर्तन कर लिया है.केंद्र सरकार ने अपना ध्यान काले धन से हटाकर इस बात की ओर कर लिया है कि भ्रष्टाचारियों ने कितनी रकम का खुलासा किया है. पीएम मोदी द्वारा शनिवार को मुरादाबाद में हुई रैली में काले धन के वापस आने की बात कहना भी एक संकेत है कि काले धन को अर्थव्यवस्था से बाहर रखने के मामले में सरकार असफल होती दिखाई दे रही है.
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