जयपुर: राजस्थान के कोटा में आज गुरुवार (28 सितंबर) को एक और छात्र ने आत्महत्या कर ली, जिससे इस साल कोचिंग हब में आत्महत्या करने वाले छात्रों की कुल तादाद 27 हो गई है। पुलिस ने कहा कि 20 वर्षीय छात्र, जिसकी पहचान मोहम्मद तनवीर के रूप में हुई है, अपने कमरे में फंदे पर लटका हुआ पाया गया। पुलिस ने बताया है कि तनवीर उत्तर प्रदेश के महाराजगंज का मूल निवासी था और अपने पिता के साथ रह रहा था, जो कोटा में एक कोचिंग संस्थान में शिक्षक के तौर पर काम करते थे। छात्र की मौत की सही परिस्थितियां अभी स्पष्ट नहीं हैं। यह भी अनिश्चित है कि छात्र किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा था या नहीं। मामले की जांच चल रही है।
कोटा में पढ़ाई और आत्महत्या:-
बता दें कि, संयुक्त प्रवेश परीक्षा (JEE) और राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (NEET) जैसी प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं में उत्तीर्ण होने की उम्मीद में, लगभग दो लाख छात्र हर साल कोटा आते हैं। इस वर्ष, अधिकारियों ने जिले में प्रतियोगी परीक्षाओं के दबाव से संबंधित 27 छात्रों की आत्महत्या की सूचना दी, जो अब तक किसी भी वर्ष में ख़ुदकुशी करने वाले छात्रों की सबसे अधिक संख्या है। राजस्थान पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, यह आंकड़ा 2022 में 15, 2019 में 18, 2018 में 20, 2017 में सात, 2016 में 17 और 2015 में 18 था। कोचिंग संस्थानों के लिए कोटा में 2020 और 2021 में किसी भी छात्र की आत्महत्या की सूचना नहीं मिली। क्योंकि, कोविड-19 महामारी के कारण अधिकतर कोचिंग संसथान बंद थे और पढ़ाई ऑनलाइन हो रही थी।
#WATCH | Spring-loaded fans installed in all hostels and paying guest (PG) accommodations of Kota to decrease suicide cases among students, (17.08) https://t.co/laxcU1LHeW pic.twitter.com/J16ccd4X0S
— ANI MP/CG/Rajasthan (@ANI_MP_CG_RJ) August 18, 2023
कोटा में आत्महत्याओं की घटनाओं के जवाब में, प्रशासन ने पहले एक आदेश जारी किया था जिसमें सभी छात्रावास के कमरों और पेइंग गेस्ट आवास में 'स्प्रिंग-लोडेड पंखे' लगाने को अनिवार्य किया गया था। हालाँकि, इसके लिए राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार की काफी आलोचना भी हुई थी, कहा गया था कि, बच्चे केवल पंखे से लटककर ही आत्महत्या नहीं करते, जिसे ख़ुदकुशी करनी हो, वो कई दूसरे तरीके भी खोज सकता है। ये भी कहा गया था कि, सरकार, ख़ुदकुशी के मूल कारणों का पता लगाने की कोशिश क्यों नहीं कर रही है ?
इससे पहले, छात्रों की बढ़ती आत्महत्या दर को रोकने के लिए इसी तरह के कई प्रस्ताव पेश किए गए थे। इस बीच अन्य लोगों ने 2017 में आंध्र प्रदेश में इंटरमीडिएट शिक्षा बोर्ड द्वारा छात्रों के तनाव को कम करने के लिए की गई सिफारिशों को लागू करने का सुझाव दिया था, जिसमें योग और शारीरिक शिक्षा कार्यक्रमों की पेशकश और एक स्वस्थ छात्र-शिक्षक अनुपात बनाए रखना शामिल था।
हालाँकि, यह दुखद रूप से स्पष्ट है कि इन खुदकुशियों के पीछे सबसे बड़ी और मुख्य समस्या, दंडात्मक और तनाव देने वाली शिक्षा प्रणाली, जिसका उद्देश्य युवा बुद्धिजीवियों का समर्थन करना या छात्रों को आज की आर्थिक वास्तविकताओं के लिए तैयार करना नहीं है, लेकिन उस पर अब भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि नई शिक्षा नीति 2020 के दृष्टिकोण को पूरी तरह से लागू होने में समय लगेगा, जो छात्रों पर तनाव को कम करने के लिए अधिक शैक्षणिक लचीलापन प्रदान करता है।
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