हर साल आने वाली गंगा सप्तमी इस साल भी आने वाली है. आप सभी जानते ही होंगे गंगा नदी को देवों की नदी कहा जाता है और देवी गंगा की पूजा मां के रूप में पूजा जाता है. केवल इतना ही नहीं बल्कि सनातन धर्म में गंगा सप्तमी या गंगा दशहरा को भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. जी दरअसल इसी दिन मां गंगा का पुनर्जन्म हुआ था और ऐसा माना जाता है कि इसी दिन मां गंगा धरती पर आईं थीं. इस बार गंगा दशहरा या गंगा सफ्तमी 29 अप्रैल को है. आइए जानते हैं कैसे आईं थीं माँ गंगा धरती पर.
सप्तमी तिथि प्रारम्भ - 29 अप्रैल को 3 बजकर 12 मिनट
सप्तमी तिथि समाप्त - 30 अप्रैल को दो बजकर 39 मिनट पर
गंगा सप्तमी मध्याम मुहूर्त - 10 बजकर 38 मिनट से 1 बजकर 13 मिनट तक
अवधि - 2 घंटे 36 मिनट
कैसे आई थी गंगा धरती पर - प्राचीन कथा के अनुसार मां गंगा को देव नदी कहा जाता है और मां गंगा को पृथ्वी पर लाने का काम लिए महाराज भागीरथ ने किया था. आप सभी को बता दें कि महाराज भागीरथ की तपस्या से खुश होकर मां गंगा धरती पर आने को तैयार हो गई थीं. मगर गंगा मां को इस बात का अभिमान था कि कोई उनका वेग सह नहीं पाएगा. वहीं जब मां गंगा ने भागीरथी से कहा कि उनका वेग धरती का कोई मनुष्य सह नहीं पाएगा तो भागीरथी ने भगवान शिव की उपासना शुरू कर दी. अपने भक्तों का दुख हरने वाले शिव शम्भू प्रसन्न हुए उन्होंने भागीरथी से वर मांगने के लिए कहा. कहते हैं तब भागीरथी ने सारी बात भोले के सामने कही.
गंगा जैसे ही स्वर्ग से पृथ्वी पर उतरने लगीं तो गंगा का गर्व दूर करते हुए भगवान शिव ने उन्हें जटाओं में कैद कर लिया. वह छटपटाने लगी और शिव से माफी मांगी. तब शिव ने उन्हें अपनी चटा से एक छोटे से पोखर पर छोड़ दिया. जहां से गंगा सात धाराओं में प्रवाहित हुईं. इस तरह मां गंगा का आगमन धरती पर हुआ था.
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